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Rajasthan News : सेकेंड हैंड स्मोकिंग से बच्चों में कम हो रही है इम्यूनिटी, कम उम्र में हो सकती हैं ये बीमारियां

चिकित्सकों के अनुसार आमतौर पर परिजन सोचते हैं कि घर से बाहर जाकर धूम्रपान करने से परिवार के बच्चे पैसिव स्मोकिंग से बचे रहेंगे लेकिन हकीकत यह है कि धूम्रपान करने वाले अभिभावकों के घरों में सांस लेने वाली हवा में खतरनाक स्तर का निकोटीन पाया जाता है।

सीकरMay 31, 2024 / 12:19 pm

जमील खान

Sikar News : सीकर. जिममेदारों की अनदेखी कहें या लापरवाही। तबाकू और तबाकू उत्पादों की बिक्री को लेकर प्रदेश में अभियान चलाकर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन धरातल पर इसका असर नजर नहीं आ रहा है। चिकित्सकों के अनुसार जिस तेजी से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और अस्थमा व ब्रोंकाइटिस की बीमारी बढ़ रही है उसके पीछे एक बड़ा कारण पैसिव स्मोकिंग ( धुएं का अप्रत्यक्ष तरीके से फेफड़ों में जाना ) को माना जा रहा है।
अकेले सीकर जिले के टेबैको कंट्रोल क्लीनिक में रोजाना इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो तबाकू व तबाकू उत्पादों से होने वाले दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं उस लिहाज से आने वाले वर्षों में यह एक महामारी का रूप ले लेगा। बच्चों में तबाकू के बढ़ते दुष्प्रभाव को देखते हुए इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 की थीम पर मनाया जा रहा है।
World No-Tobacco Day 2024 : बच्चों में ज्यादा खतरा
चिकित्सकों के अनुसार आमतौर पर परिजन सोचते हैं कि घर से बाहर जाकर धूम्रपान करने से परिवार के बच्चे पैसिव स्मोकिंग से बचे रहेंगे लेकिन हकीकत यह है कि धूम्रपान करने वाले अभिभावकों के घरों में सांस लेने वाली हवा में खतरनाक स्तर का निकोटीन पाया जाता है। निकोटीन के ये नुकसानदेह तत्व कपड़ों और अन्य सामान में भी चिपके रहते हैं। जिससे पूरा वातावरण ही प्रभावित हो जाता है। जिससे कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों को नुकसान ज्यादा होता है।
हर चौथा शख्स खाता है तबाकू
राजस्थान टोबैको फ्री एलायंस की ओर से किए सर्वे के अनुसार राजस्थान में 24.7 फीसदी लोग तबाकू उपभोग करते हैं यानि हर चौथा व्यक्ति तबाकू खाता है। जिसके कारण सांस सबधी रोग तेजी से बढ़ते हैं। यही कारण है कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज तेजी से बढ़ रही है। सीकर जिले में रोजाना होने वाली मौत का एक प्रमुख कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज होता है।
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स्मोकिंग जितनी ही खतरनाक होती है पैसिव स्मोकिंग

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार रोजाना 20 से 30 बच्चे गुटखा, पान, मसाला सहित तंबाकू उत्पाद की शुरुआत करते है। प्रदेश में प्रतिदिन 300 नए बच्चे तंबाकू जनित उत्पादों का पहली बार उपयोग शुरू करते है। दो साल तक हुए सर्वे के अनुसार सीकर में तबाकू उत्पादों पर रोजाना दो करोड़ 39 लाख 95 हजार 550 रुपए हर माह 72 करोड़ और एक साल में 876 करोड़ खर्च किए जाते हैं। इसके सेवन से फेफड़े के कैंसर से लेकर दमा, मुंह का कैंसर व खांसी रोग आदि हो रहे हैैं।
इनका कहना है
यह बात सही है कि तबाकू सेवन की प्रवृत्ति दो से तीन प्रतिशत तक बढ़ी है। अस्पताल में रोजाना आठ से दस मरीज इस प्रकार के आतेहैं। डॉ.रामचन्द्र लाबा, वरिष्ठ विशेषज्ञ मनोचिकित्सा एवं प्रभारी टबैको कंट्रोल प्रदेश में दो साल तक लगातार किए गए सर्वे के बाद तैयार रिपोर्ट के आंकड़े भयावह है। प्रदेश सरकार का तबाकू मुक्त राजस्थान अभियान सफलता तभी होगा जब नए तबाकू उपभोगकर्ताओं में कमी आए। राजन चौधरी, कार्यकर्ता

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