इलाके के लोगों ने जल्द प्रशासन के कार्रवाई नहीं करने पर
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पीड़ा बताने की बात कही है। समिति का दावा है कि पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा कि राजस्व रेकॉर्ड में यह जमीन मंदिर मूर्ति के नाम से दर्ज है। नियमानुसार इस जमीन का बेचान नहीं हो सकता है। रिपोर्ट में पटवारी ने यह भी बताया कि पुरोहित जी की ढाणी से
झुंझुनूं बाईपास की तरफ जाने वाले रास्ते पर स्थित मंदिर मूर्ति की जमीन पर कुछ निर्माण भी हो चुका है।
पांच से आठ हजार रुपए वर्ग गज में सौदा
मंदिर मूर्ति की जमीन बेचान के मामले की पड़ताल में सामने आया कि इस जमीन की रजिस्ट्री नहीं होेन की वजह से कई लोगों ने नोटरी पर जमीन नाम करा ली। इसके बाद पांच से आठ हजार रुपए वर्ग गज में जमीन बेची जा रही है। जमीन पर कब्जा मिलने के बाद कई लोगों ने यहां पक्के मकान भी बना लिए है।
नगर परिषद की भी मिलीभगत
मामले में नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आ रही है। शहर के कई क्षेत्र लंबे अर्से से सीवरेज योजना का इंतजार कर रहे है, लेकिन यहां नगर परिषद ने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए सीवरेज योजना भी स्वीकृत कर दी। नगर परिषद की स्वीकृति पर लगातार सवाल उठ रहे है।
फर्जी नामान्तरण के मामले में कार्रवाई की मांग
फतेहपुर-शेखावाटी इलाके में छह साल पहले हुए फर्जी नामान्तरण के मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर मुख्यमंत्री व संभागीय आयुक्त को शिकायत भेजी है। इसमें वार्ड 43 निवासी भंवरलाल खटीक ने बताया कि 31 जुलाई 2018 को राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से लगभग 22 बीघा जमीन का फर्जी नामान्तरण खोल दिया गया। इस मामले में एक पटवारी को दोषी मानते हुए चार्जशीट दी गई। आरोप है कि तत्कालीन तहसीलदार सहित अन्य के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।