जनशताब्दी से सफर करने वालों के लिए खुशखबर है कि ट्रेन के फेरे दो दिन से बढ़ाकर सप्ताह में पांच दिन कर दिए गए हैं, लेकिन इस टे्रन के यात्रियों को अभी भी दो दिन पहले ही टिकट बुकिंग करवानी पड़ेगी। दिल्ली व अजमेर जाने वाले यात्री पिछले कई दिनों से गाड़ी को नियमित करने व प्रतिदिन टिकट देने मांग उठाते आ रहे थे। रेलवे बोर्ड ने 22 जून से गाड़ी को सप्ताह में पांच दिन तो कर दी मगर प्रतिदिन टिकट पर कोई सुनवाई नहीं की। इसके बारे में शुक्रवार को सलाहकार समिति ने रेलवे महाप्रबंधक को पत्र भी लिखा है। ट्रेन में जनरल कोच व जनरल टिकट की व्यवस्था नहीं होने से दिल्ली-अजमेर जाने वाले यात्री मजबूरी में बेटिकट यात्रा करते हैं। किसी यात्री का दिल्ली व अजमेर जाना पहले से तय हो तो वह रिजर्वेशन करवा लेता है। लेकिन किसी यात्री का अचानक कार्यक्रम बनने पर उसको स्टेशन पर टिकट नहीं मिलता है। ऐसे में यात्रा जरूरी होने पर वह मजबूरी में बेटिकट यात्रा करते हैं। ऐसे में रेलवे बोर्ड को प्रतिदिन लाखों रुपयों का घाटा उठाना पड़ता है। रेलवे सलाकर समिति सदस्य रविशंकर अग्रवाल का कहना है कि रेलवे बोर्ड गाड़ी को प्रतिदिन चलाकर उसमें दो जनरल कोच जोड़े तथा स्टेशन पर जल्द टिकट काटने की सुविधा करें।
होली-डे ट्रेन को कर दी बंद
सप्ताह में सोमवार, बुधवार व शनिवार तीन दिन दिल्ली व अजमेर के बीच चलने वाली होली-डे टे्रन को बोर्ड ने पिछले दिनों बंद कर दिया। इससे भी यात्रियों को बड़ी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों की मांग है कि रेलवे रूट पर गाड़ी बढ़ाये तो नहीं मगर घटाकर कम भी ना करें।
रविवार को नहीं है दिल्ली के लिए ट्रेन
जनशताब्दी टे्रन पहले शुक्रवार व रविवार को नीमकाथाना स्टेशन से सुबह 8.40 बजे चलती थी। बोर्ड ने 22 जून से उसे गुरुवार व रविवार को नहीं चलाकर बाकी पांच दिन नियमित कर दी। अब यात्रियों को दिल्ली जाने के लिए गुरुवार को तो सुबह 9.30 बजे बांद्रा-दिल्ली टे्रन मिल जाया करेगी। मगर रविवार को कोई टे्रन नहीं होने के कारण सुबह सीधा दिल्ली जाने के लिए यात्रियों को परेशान ही होना पड़ेगा। अगर सीधा दिल्ली जाना हो तो यात्री आधी रात 1.40 बजे स्टेशन पर पहुंचे। तब चेतक गाड़ी हाथ आएगी।
इन पांच दिन चलेगी गाड़ी
जनशताब्दी ट्रेन सप्ताह में अब सोमवार, मंगलवार, बुधवार, शुक्रवार व शनिवार को नियमित उसी समय सुबह 8.40 बजे चलेगी। यात्रियों का कहना है कि रूट पर माल गाडिय़ों को चलते हुए बहुत साल बीत गए, अब तो रेलवे बोर्ड सवारी गाडिय़ों में इजाफा करें।