यूं जीती जिंदगी की जंग
शिक्षा विभाग में सहायक प्रशासनिक अधिकारी पद से सेवानिवृत जगदीश पिलानिया बताते हैं कि उन्हें 2018 में गले में परेशानी हुई। जयपुर के संतोकबा दुर्लभ अस्पताल में दिखाया तो चिकित्सकों ने ऑपरेशन कर कुछ समय बाद महावीर कैंसर अस्पातल में रैफर कर दिया। यहां जांच में गले में कैंसर की पुष्टि हुई। इसके उपचार के लिए उन्हें 35 रेडियो थैरेपी दी गई। इससे शरीर काफी कमजोर हो गया। हर पल मौत की चिंता चित्त को सुलगाने लगी थी, पर थैरेपी के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलते ही उन्होंने गांव की बजाय धोद बाइपास स्थित फार्म हाउस में रहना तय किया। जहां बीमारी से लड़ऩे के लिए उन्होंने योग का सहारा लेना शुरू किया। शुरू में 15 मिनट से योग शुरू करते हुए धीरे— धीरे समय बढ़ाया। साथ में घर पर बना जड़ी बूटियों का काढा भी लेते रहे। योग का अभ्यास असरकारक सिद्ध हुआ। स्वस्थ होने के साथ जांच रिपोर्ट भी बिल्कुल सही आने लगी। शुरुआती महीनों में बुलाने के बाद चिकित्सकों ने बाद में उन्हें कैंसर फ्री घोषित कर दिया।
64 की उम्र में करते हैं जटिल आसन
जगदीश पिलानिया सुबह व शाम को करीब डेढ घंटे नियमित योगासन करते हैं। कपाल भांति, अनुलोम विलोम, भुजंगासान, ताड़ासन, वृक्षासन, चक्रासन व शीर्षासन के साथ वे योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा किए जाने वाले जटिल आसन भी 90 फीसदी तक कर लेते हैं।