80 फीसदी सफल
जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुधीर भंडारी ने बताया कि जब ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे आ जाए, तो होम आइसोलेशन में रहते हुए कोविड मरीज को प्रोनिंग करनी चाहिए। प्रोनिंग की यह स्थिति वेंटीलेशन में सुधार करके मरीज की जान तक बचा सकती है। डॉ भंडारी ने कहा कि प्रोनिंग की पोजीशन सांस लेने में आराम और ऑक्सीकरण में सुधार करने के लिए मेडिकली प्रमाणित है। यह प्रक्रिया 30 मिनट से दो घंटे की होती है। इसे करने से फेफड़ों में रक्त का संचार बेहतर होता है, जिससे ऑक्सीजन फेफड़ों में आसानी से पहुंचती है और फेंफड़े अच्छे से काम करने लगते हैं। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजनेशन में इस प्रक्रिया को 80 प्रतिशत तक सफल माना जा रहा है ।
ऐसे होती है प्रोनिंग
विशेषज्ञों के अनुसार प्रोनिंग के लिए लगभग चार से पांच तकियों की जरूरत होती है। सबसे पहले रोगी को बिस्तर पर पेट के बल लिटाएं। एक तकिया गर्दन के नीचे सामने से रखें। फिर एक या दो तकिए गर्दन, छाती और पेट के नीचे बराबर में रखें। बाकी के दो तकियों को पैर के पंजों के नीचे दबाकर रख सकते हैं। ध्यान रखें इस दौरान कोविड रोगी को गहरी और लंबी सांस लेते रहना है। उन्होंने बताया कि 30 मिनट से लेकर करीब दो घंटे तक इस स्थिति में रहने से मरीज को बहुत आराम मिलता है। लेकिन 30 मिनट से दो घंटे के बीच मरीज की पोजीशन बदलना जरूरी है। इस दौरान मरीज को दाईं और बाईं करवट लिटा सकते हैं।
प्रोनिंग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
चिकित्सकों के अनुसार खाने के तुरन्त बाद प्रोनिंग करने से बचें। इसे 16 घंटों तक रोजाना कई चक्रों में कर सकते हैं। इससे बहुत आराम मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया को करते समय घावों और चोट को ध्यान में रखें। दबाव क्षेत्रों को बदलने और आराम देने के लिए तकियों को अनुकूल करें ।
ह्रदय रोगी व गर्भवती बचें
चिकित्सकों के अनुसार गर्भवती व गंभीर ह्रदय रोगियों को प्रोनिंग से बचना चाहिए। स्पाईन से जुड़ी कोई परेशानी हो या फिर पेल्विक फैक्चर वालों को भी प्रोनिंग करने से नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि भोजन करने के तुरन्त बाद प्रोनिंग की प्रक्रिया से बचना चाहिए।
181 पर मिलेगी हर मदद
इधर, प्रदेश में कोरोना से जुड़ी किसी भी जानकारी, समस्या या शिकायत के लिए संचालित 181 हेल्पलाइन को भी सरकार ने अब ओर प्रभावी बनाया गया है। कोरोना से संबंधित कोई भी प्रश्न या समस्या जैसे जांच, होम क्वारंटाइन, दवाओं की सप्लाई, डायग्नोस्टिक फैसिलिटी, हॉस्पिटल, बेड की उपलब्धता, आईसीयू, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन के लिए वे सीधे 181 नंबर पर कॉल कर सकते हैं। इस नंबर पर समस्या का विस्तृत विश्लेषण कर कंट्रोल रूम विशेषज्ञ डॉक्टर के पैनल से चर्चा कर लोगों की समस्या का समाधान करेंगे।