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राजस्थान विधानसभा चुनाव का रोचक इतिहास: जब अंगूठा टेक उम्मीदवार ने LLB पढ़े को दी करारी हार

Rajasthan Election 2023 : जनतंत्र में जनता ही जनार्दन होती है। वह किसी भी उम्मीदवार को फर्श से अर्श और अर्श से फर्श दिखा सकती है। उम्मीदवार की योग्यता, पार्टी और प्रतिष्ठा भी उसमें कोई मायने नहीं रखती।

सीकरOct 23, 2023 / 07:43 am

Nupur Sharma

सचिन माथुर
सीकर। Rajasthan Assembly Election 2023 : जनतंत्र में जनता ही जनार्दन होती है। वह किसी भी उम्मीदवार को फर्श से अर्श और अर्श से फर्श दिखा सकती है। उम्मीदवार की योग्यता, पार्टी और प्रतिष्ठा भी उसमें कोई मायने नहीं रखती। विधानसभा चुनाव में ऐसे कई किस्से हैं जो चुनाव आते ही लोगों के बीच चर्चा बन जाते हैं। जिनमें से दो जीतों का जिक्र लोगों की जुबान और जेहन में अब भी जिंदा है। यहां लोगों ने एलएलबी पढ़े को दरकिनार कर अंगूठा टेक उम्मीदवार को विधानसभा पहुंचा दिया। वहीं, समाज सेवा के लिए खुले मन से तिजोरी खोलने वाले को भी नहीं बख्शा। ऐसी ही दो चुनावों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनकी यादें पांच दशक बाद भी लोगों के दिमाग में तरोताजा है।

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हस्ताक्षर भी नहीं आता, एलएलबी उम्मीदवार को हराया
शिक्षाविद् दयाराम महरिया बताते हैं कि 1952 में सीकर तहसील विधानसभा से कांग्रेस से रामदेव सिंह महरिया और राम राज्य परिषद से पृथ्वी सिंह उम्मीदवार थे। जिनके सामने कृषकार लोक पार्टी ने ईश्वर सिंह को अपना उम्मीदवार चुना था। इनमें एलएलबी शिक्षा प्राप्त रामदेव सिंह सबसे पढ़े लिखे व ईश्वर सिंह पूर्ण रूप से निरक्षर उम्मीदवार थे। वे हस्ताक्षर करना भी नहीं जानते थे। पर चुनाव में जनता ने उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता को दरकिनार कर ईश्वर सिंह को 20912 में से 8467 मत देकर विजयी बना दिया। जबकि 5451 मतों के साथ महरिया तीसरे नम्बर पर रहे।

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सेवा पर भारी पड़ी राजनीति
सीकर तहसील से चुनाव हारने के बाद रामदेव सिंह महरिया ने 1957 व 1962 का चुनाव सिंगरावट विधानसभा से जीता। इसके बाद 1967 में फिर सीकर विधानसभा से अपना उम्मीदवार चुना। जिनके सामने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने बद्रीनारायण सोढाणी को अपना प्रत्याशी तय किया। सांवली में एशिया के सबसे बड़े टीबी अस्पताल व धोद रोड पर होम्योपैथिक अस्पताल सहित कई समाजसेवी कार्यों की वजह से सोढ़ाणी उस समय प्रतिष्ठा के शिखर पर थे। पर इस चुनाव में सोढाणी की सामाजिक प्रतिष्ठा पर महरिया की राजनीति भारी पड़ी। 49154 मतों में से सोढाणी के 21471 मतों के मुकाबले महरिया ने 25048 मत हासिल कर यह चुनाव 3577 मतों से जीता।

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