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मिलीभगत: मंडी समिति को लगाई 84 लाख की चपत, कैशबुक में फर्जी रसीदें, सचिव सस्पेंड

सीकर कृषि उपज मंडी के विकास के लिए आने वाली राशि को बैंक में जमा करवाने की बजाए मंडी का कैशियर अपने घर ले गया। नवम्बर 2020 से चल रहे इस खेल में करीब 84 लाख रुपए की राशि के गबन का खुलासा मंडी समिति में आई ऑडिट टीम ने किया है।

सीकरJan 20, 2024 / 11:36 am

Puran

मिलीभगत: मंडी समिति को लगाई 84 लाख की चपत, कैशबुक में फर्जी रसीदें, सचिव सस्पेंड

सीकर कृषि उपज मंडी समिति पर सटीक बैठ रही है। इसकी बानगी कि मंडी के विकास के लिए आने वाली राशि को बैंक में जमा करवाने की बजाए मंडी का कैशियर अपने घर ले गया। नवम्बर 2020 से चल रहे इस खेल में करीब 84 लाख रुपए की राशि के गबन का खुलासा मंडी समिति में आई ऑडिट टीम ने किया है। मंडी समिति में चल रही इस ऑडिट के बाद व्यापारियों सहित मंडी प्रशासन में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन में जयपुर से आई टीम ने प्रकरण की जांच की और संबंधित अधिकारियों के बयान लिए। इसके बाद मंडी प्रबंधन ने तत्कालीन पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों के खिलाफ उद्योग नगर पुलिस थाने में गबन का मामला दर्ज कराया। इधर सीकर मंडी सचिव देवेंद्रसिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। इधर मंडी प्रशासन का कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी।

व्यापारियों में आक्रोश

मंडी परिसर में लम्बे समय से चल रही अनियमितताओं को लेकर मंडी के कई व्यापारियों ने मंडी सचिव पर दुकान, गोदाम आवंटन के प्रकरण में कई गंभीर आरोप लगाए। व्यापारियों ने बताया कि प्रबंधन ने एक जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार को बिना नियम कायदों के दुकान आवंटित कर दी गई। मिलीभगत का आलम यह रहा कि मंडी प्रबंधन ने मंडी की कैशबुक और
बैंक पासबुक का मिलान तक नहीं किया।

मंडी समिति की बैलेंस शीट तक चैक नहीं की गई। आरोप है कि मंडी में निदेशालय से हर वर्ष आने वाली ऑडिट टीम भी लाखों रुपए की इस हेराफेरी को नहीं पकड़ सकी। सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात है कि जिस कैशियर ने ये हेराफेरी की वो दूसरे कर्मचारी को चार्ज देकर पिछले साल नवम्बर में सेवानिवृत्त हो चुका है।
लगाई थी फर्जी रसीद

ऑडिट टीम की रिपोर्ट के अनुसार मंडी में अक्सर दुकान, गोदाम किराया, लाइसेंस फीस व मंडी शुल्क सहित अन्य मदों से नकद राशि आती है। इस राशि की कैशबुक में तो एंट्री है और रसीद भी कटी हुई लेकिन उस अवधि के बैंक के स्टेटमेंट में इस राशि की कोई एंट्री नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि ये सभी रसीदें फर्जी है। इनमें कई रसीदों पर तो बैंक की मुहर और साइन तक नहीं है।
इस तरह हुआ घोटाला
वर्ष— गबन की राशि (लाखों में)
2020-21 — 14,30,486

2021-22- 23 —58,18,400

1 अप्रेल 2023 से अब तक—11,49,000

उच्चाधिकारियों को लिखेंगे

मंडी समिति की ऑडिट टीम ने वित्तीय अनियमिता का प्रकरण पकड़ा है। प्रकरण की जांच के लिए जयपुर से मुख्य लेखाधिकारी की टीम ने जांच रिपोर्ट तैयार की है। दोषी मंडी पर्यवेक्षक (कैशियर ) के खिलाफ उद्योग नगर पुलिस थाने के खिलाफ गबन की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। मंडी सचिव को सस्पेंड किया गया है। सेवानिवृत्त हो चुके कैशियर से गबन की राशि वसूलने और लापरवाही के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा जाएगा।
दयानंद सिंह, उपनिदेशक कृषि विपणन विभाग सीकर

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