बिना कुछ बताए किसी का भी नाम व मन का हाल बताने पर हर कोई अचरज से आवाक रह गया। बाघेश्वर व सालासन बालाजी, खाटूश्यामजी और जीणमाता के जयकारों व रामधुन के साथ दरबार की शुरुआत करने से पहले उन्होंने राजस्थान को आस्था व शूरवीरों की धरती कहा। बोले, जहां मीरा व महाराणा प्रताप जैसी भक्त और देशभक्त हो और चेतक जैसे घोड़े व रामप्रसाद जैसे हाथी में ही देशभक्ति का जज्बा होता है, उस राजस्थान का होने पर यहां के लोगों को बड़ा गर्व होना चाहिए।
दरबार में पहुंचे कई लोगों की पर्ची निकालकर उन्होंने उनके अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताया। जिसे सुनकर कइयों की तो भाव के आंखे नम हो गई। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस दौरान सनानत धर्म की शक्ति के लिए हनुमानजी की भक्ति बढ़ाने की बात कही। बोले, वे चमत्कार दिखाने या कथा सुनाने नहीं, हर दिल में हनुमान जगाने आए हैं। दरबार में 400 रुपए उधार लेकर नीमकाथाना से आई एक फरियादी को पंडित शास्त्री ने वापस लौटने का किराया देकर भी श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया।
विदेश तक पहुंचाई सालासर की रामधुन
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जिस रामधुन से दरबार की शुरुआत की उसे सालासर बालाजी के भक्त मोहनदास महाराज की बताया। उन्होंने कहा ये धुन उन्होंने सालासर बालाजी के मंदिर से ही चुराई थी। जो आज विदेशों में भी गाई जा रही है। सनातन धर्म की महिमा बताते हुए उन्होंने सनातनियों की एकता को ही अपनी गुरु दक्षिणा बताया।
रोड शो में उमड़ा हुजूम, पांच घंटे अटे रहे श्रद्धालु
दरबार से पहले पंडित धीरेंद्र शास्त्री का शहर में रोड शो निकाला गया। तारपुरा हवाई पट्टी से डाक बंगला पहुंचने के बाद शुरू हुआ रोड शो कल्याण सर्किल, बजरंग कांटा व डिपो तिराहे होते हुए रीको तिराहे तक निकला। जिसमें बागेश्वर महंत की एक झलक की ललक लिए हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। दोपहर ढाई बजे शुरू हुए रोड शो के लिए लोग सुबह दस बजे से ही सडक़ के दोनों और अट गए। घरों-दुकानों की दहलीज से लेकर छत व छज्जो तक पर श्रद्धालु अट गए। जिन्होंने जगह- जगह यात्रा पर फूल बरसाए। करीब डेढ किलोमीटर का रोड शो दो घंटे में पूरा हुआ।