बताते चलें कि स्वच्छ भारत मिशन (swachhta mission) के दूसरे फेज में घने बसाहट वाली बस्तियों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए जिले की 400 ग्राम पंचायतों में से 221 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया था। शौचालयों का निर्माण गरीब कल्याण रोजगार अभियान अंतर्गत किया गया। जिले की दो सैकड़ा ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है, लेकिन वह ताले में कैद हैं।
स्वच्छ भारत मिशन पर लग रहा पलीता
सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण ग्राम पंचायतों के बाजार क्षेत्र व बसाहट वाली बस्तियों में कराया गया था, इस मंशा के तहत शौचालयों का निर्माण तो करा दिया गया, लेकिन इनकी उपयोगिता सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।
तीन मदों के समावेश से हुआ निर्माण: विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सार्वजनिक शौचालय की निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायतों को बनाया गया था। शौचालयों का निर्माण तीन मदों को जोड़कर किया जा गया है, स्वच्छ भारत मिशन, पंद्रहवें वित्त आयोग मनरेगा शामिल है। मजदूरी का भुगतान मनरेगा के मद से किया गया। प्रति शौचालय 3.99 लाख का बजट स्वीकृत किया गया था।
विकासखंड | स्वीकृत | पूर्ण |
कुसमी | 21 | 20 |
रामपुर नैकिन | 40 | 38 |
सीधी | 73 | 68 |
सिहावल | 45 | 41 |
मझौली | 20 | 19 |
कुल | 199 | 186 |
रनिंग वॉटर की भी बनाई गई है सुविधा
स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) के तहत ग्राम पंचायतों में बनाए जा रहे शौंचालयों में पुरानी गलती नहीं दोहराई गई है। स्कूलों में बनवाए गए शौचालयों में रनिंग वाटर की सुविधा नहीं होने से उनका उपयोगिता सुनिश्चित नहीं हो पा रही थी। इसलिए सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के साथ ही रनिंग वाटर की सुविधा हेतु बजट का प्रावधान कर दिया गया था। बताया गया कि टॺूबवेल व मोटर पंप के लिए करीब 80 हजार रुपये अलग से निर्धारित किया गया था, जिससे रनिंग वाटर की सुविधा उपलब्ध हो सके।