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शिवपुरी

लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल पर बढ़ा संकट

जिले में बारिश का आंकड़ा 935 मिमी के पार , बारिश के कारण उड़द और मूंग की फसल पहले ही हो चुकी है खराब,

शिवपुरीOct 02, 2019 / 10:27 pm

Rakesh shukla

लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल पर बढ़ा संकट

लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल पर बढ़ा संकट

शिवपुरी. जिलेभर में हो रही लगातार बारिश के कारण अब उड़द, मूंग की फसल के बाद सोयाबीन की फसल पर भी संकट मंडरा रहा है। किसानों का कहना है कि उड़द मूंग की फसल तो पहले ही खराब हो गई और अब हो रही बारिश से सोयाबीन भी खराब होने लगी है। पिछले चौबीस घंटे में शिवपुरी शहर सहित जिले में कुल 44.66 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो इस सीजन में अभी तक की सबसे अधिक बारिश है। एक ही दिन में इतनी बारिश होन से जिले की औसत बारिश का आंकड़ा भी 935 मिमी के पार पहुंच गया। एक तरफ जहां झमाझम बारिश से जिले के ताल-तलैया लबालब हो गए, वहीं दूसरी ओर उड़द, मूंग की फसल खराब होने के बाद किसान की आखिरी उम्मीद बची सोयाबीन की फसल को लगातार गिर रहे पानी ने खराब होने के कगार पर पहुंचा दिया है। औसत से अधिक व लगातार हो रही बारिश ने एक तरफ जहां अन्नदाता को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया, वहीं शहर का व्यवसायी वर्ग भी निराश हो गया।
इस वर्ष बारिश के मौसम में सबसे तेज व अधिक बारिश मंगलवार की शाम से लेकर रात तक हुई। केवल शिवपुरी तहसील में ही 70 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो अभी तक की सबसे अधिक बारिश है। शहर में जहां रात भर तेज बहाव में चले नालों में सुबह तक पानी का फ्लो तेज बना रहा। वहीं सडक़ों के गढ्डे और भी अधिक गहरे व चौड़े हो गए। शहर के झांसी तिराहे से गुरुद्वारा के बीच सडक़ की हालत बेहद खराब हो गई, वहीं कालीमाता मंदिर से झांसी तिराहे के बीच सडक़ पर हुए गड्ढों में से सुरक्षित निकल पाना मुश्किल हो रहा है। शहर में ही जगह-जगह जलभराव के चलते आवागमन तो प्रभावित रहा ही, साथ ही निचले इलाकोंं में पानी भर जाने से लोग परेशा ननजर आए।
लगातार बारिश से इन हालातों में पहुंची फसलें
सोयाबीन: जिले में 70 प्रतिशत सोयाबीन 9560 की बोबनी की गई है। यह इसलिए हुआ, क्योंकि यह माना जा रहा था कि इस बार बारिश कम होगी, इसलिए अधिकांश किसानों ने 60 दिन वाली सोयाबीन की बोवनी की थी। अब वो फसल पककर तैयार है और लगातार हो रही बारिश के चलते फली फटकर खेतों में ही छिटक कर अंकुरित होने लगी।
मूंगफली: मूंगफली की फसल पक कर तैयार हो गई, लेकिन खेत में पानी भरा होने की वजह से किसान उसे खोद नहीं पा रहा है। ऐसे में मंूगफली का दाना जमीन में ही अंकुरित होने लगा है।
उड़द: उड़द की फसल तो पहले ही पक कर तैयार हो गई तथा फली का छिलका भी सूख जाने से दाने में नमी आते ही दाना फूल कर छिटकर वहीं खेत में गिरकर दूसरा पौधा बनकर तैयार हो गया।
किसानों की पीड़ा
उड़द तो पूरी तरह से नष्ट हो गई, जबकि सोयाबीन की फसल 80 फीसदी बर्बाद हो गई। सरकार ने जो दो लाख रुपए के ऋण माफी का वादा किया था, उसमें से कुछ राशि तो माफ हो गई है। फसल बीमा से हमें कोई उम्मीद नहीं है, क्योंक तीन साल से हमें तो कुछ भी नहीं मिला।
चंद्रभान सिंह यादव, ग्राम सुमैला
इस साल हमारी फसलें बारिश से बर्बाद हो गई। सोयाबीन की साठिया फसल में दाना काला पड़ गया। सरकार ने जो दो लाख रुपए ऋण माफी की घोषणा की थी, वो अभी तक नहीं हुई। फसल बीमा से भी कोई आशा नहीं है, क्योंकि अभी तक बीमा की राशि नहीं मिली।
राजकुमार यादव, ईसुरी बदरवास
उड़द सहित अन्य फसलें तो लगभग खत्म ही हो गईं, सोयाबीन से जो उम्मीद थी वो भी अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गई। यदि अभी भी मौसम खुल जाए, तो शायद किसान की कुछ फसल बच जाएगी, अन्यथा नुकसान तो हो ही गया है।
एमके भार्गव, कृषि वैज्ञानिक केविक पिपरसमा शिवपुरी

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