मंदिर के बारे में कहा भी जाता है कि श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी होती है। अरनिया के बाजार स्थित गणेश मंदिर का इतिहास वर्षों पुराना है। बुजुर्ग बताते हैं कि गणेश मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा करीब साढ़े 600 वर्ष पूर्व गांव की स्थापना के साथ हुई थी। उस समय गांव का नाम गुलजार नगर हुआ करता था। मंदिर की खासियत यह है कि भगवान गणेश की चैतन्य प्रतिमा विराजित होने के साथ ही शिवलिंग भी है। गांव के लोगों ने समय के साथ मंदिर का कायाकल्प किया तो वह अब चमक उठा है।
ओलावृष्टि-अतिवृष्टि होने पर शंखनाद
मान्यता है कि ओलावृष्टि, अतिवृष्टि के समय गणेश मंदिर से शंखनाद किया जाता है। शखनांद होते ही गांव की सीमा में कभी ओलावृष्टि, अतिवृष्टि जैसी स्थिति नहीं बनती है। गणेश मंदिर के सचिव व सेनवानिवृत्त शिक्षक आनंदीलाल सोनानिया ने बताया कि सच्ची श्रद्धा से आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। गणेशोत्सव के दौरान इस समय मंदिर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं। वहीं सुबह-शाम भगवान की विशेष आरती की जा रही है। अनंत चतुर्दशी के दिन मंदिर आचार्य जुगलकिशोर तिवारी व्रत उद्यापन कराएंगे, उसके बाद ढोल नगाड़ों से चल समारोह निकालेगा।
ग्रामीण बताते हैं कि गुरु महाराज ने यहीं पर समाधि ली थी। सोनानिया गोत्र के कुल भैरव महाराज की प्राचीन प्रतिमा भी मौजूद है। बैशाख माह में भैरव महाराज के दर्शनार्थियों का तांता लगता है। मंदिर परिसर में श्रीराम मंदिर सीता, लक्ष्मण, हनुमान जी की प्रतिमा विराजित हैं। इससे श्रद्धालुओं को सभी देवी-देवता के एक साथ दर्शन हो जाते हैं।