धानमंडी स्थित ओंकारेश्वर महादेव मंदिर में सात दिनी विवाह समारोह का मंगलवार को भंडारे के साथ समापन हुआ। इसमें जिला मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों से आए भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की। महिलाओं ने कन्यादान कर विवाह की रस्में भी निभाई। मंदिर में महादेव और माता पार्वती विवाह की शुरुआत 27 फरवरी को गणेश पूजन के साथ हुई थी, जिसके तहत वर निकासी, हल्दी सहित विवाह की सभी रस्में की गई। 4 मार्च को माता पार्वती व महादेव परिणय सूत्र में बंधे। आयोजन के तहत मंगलवार को मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें मंदिर समिति के साथ शहरवासियों ने भी इस आयोजन में सहयोग करते हुए श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया।
भक्तों ने किया कन्यादान
मंदिर परिसर में एक तरफ श्रद्धालू प्रसादी ग्रहण कर रहे थे। वहीं पास में महादेव और माता पार्वती की प्रतिमाएं विराजित की गई थी। जहां श्रद्धालू पहुंचकर आशीर्वाद लेने के साथ ही श्रद्धानुसार कन्यादान भी कर रहे थे। किसी ने गृहस्थी की सामग्री, किसी ने नकद तो किसी ने आभूषणों का दान कर देवाधिदेव से सुख-समृद्धि की कामना की।
देर शाम तक चला आयोजन
ओंकारेश्वर महादेव मंदिर परिसर में भंडारे की शुुरूआत दोपहर 3 बजे से हुई। इसमें बारी-बारी से श्रद्धालू प्रसादी ग्रहण कर रहे थे। देखते ही देखते इस आयोजन में लोगों की संख्या बढ़ती गई और देर शाम तक यह सिलसिला चलता रहा। मंदिर समिति के मुताबिक हजारों लोगों ने यहां प्रसादी ग्रहण की।
महाशिवरात्रि पर माता पार्वती संग परिणय सूत्र में बंधे महादेव
शहर के धानमंडी क्षेत्र में स्थित ओंकारेश्वर महादेव मंदिर पर महाशिवरात्रि के अवसर पर दोपहर 3 बजे लगन हुए और फिर माता पार्वती संग महादेव ने सात फेरे लिए। इसके एक दिन पहले मंदिर परिसर में मंडपछाया का भी आयोजन किया गया और फिर धानमंडी स्थित ओंकारेश्वर महादेव मंदिर से महादेव की वर निकासी निकाली गई थी, जिसमें मंदिर समिति ही नहीं वरन सभी नगरवासी बाराती बनकर जमकर झूमे। वहीं शिवगणों ने भी महादेव की वर निकासी में शािमल होकर विवाह की खुशियां मनाई थी। इसके बाद सोमवार को भगवान शिव और माता पार्वती के शुभ लग्न की रस्में निभाई गई। इस अनूठे आयोजन के साक्षी बनने के लिए महादेव के भक्त शहर सहित आसपास के क्षेत्रों से भी भक्त इस विवाह में बाराती बनकर शामिल हुए।