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शाहडोल

जीवन को तनावमुक्त करता है, जीवन जीने का तरीका भी सिखाता है योग

International Day of Yoga 2022- अंबिकापुर आश्रम से शहडोल प्रवास पर आए स्वामी रामानंद सरस्वती से चर्चा

शाहडोलJun 21, 2022 / 07:04 pm

Manish Gite

शहडोल। सबसे आगे निकलने की होड़ ने लोगों को अस्त-व्यस्त कर दिया है। भाग-दौड़ भरे जीवन में किसी को कुछ सुध ही नहीं है। केमिकल युक्त खान-पान सहित अनियमित दिनचर्या से रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो रही है। हर तीसरे व्यक्ति को डायबिटीज, बीपी की समस्या है। वहीं लोग कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं।

कोरोना संक्रमण काल में लोगों की कम रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण ही संक्रमण तेजी से बढ़ा था। लोगों का दाहिना मस्तिष्क जो भावना का केंन्द्र है उसमें जगह ही नहीं बची है। मन की शांति के लिए संयमित जीवन और एकाग्र मन की नितांत आवश्यकता है। उक्त बातें अंबिकापुर आश्रम से दो दिन के प्रवास पर शहडोल पहुंचे स्वामी रामानंद सरस्वती ने पत्रिका से चर्चा के दौरान कही। इस दौरान उन्होंने योग व आध्यात्म से जुड़ी कई जानकारियां भी साझा की।

 

मानव जीवन में योग को कैसे परिभाषित करेंगे?

योग को अलग-अलग तरह से परिभाषित किया गया है। योग चित्त वृत्ति विरोध है। योग मन को शांत करने का उपाय है। योग कार्य करने की कुशला है और समता है। योग जीवन जीने की पद्धति है इससे सोच विकसित होती है। योग जीने का तरीका सिखाता है।

 

योग के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

व्यक्तित्व अच्छा नहीं होगा तब तक योग भी असरकारक नहीं होगा। शरीर पवित्र होगा तो मन पवित्र होगा। लंबे समय तक एक आसन में बैठते हैं तो मन शांत होता है और ध्यान करने से शरीर शांत होता है। इसके लिए एकाग्रता और संयम आवश्यक है।

 

 

आज सबसे बड़ी समस्या तनाव है, इसे दूर करने के लिए क्या आवश्यक है?

मनोदैहिक रोग अर्थात मन बीमार है तो हम बीमार हैं। बीमारियाें को दूर करने के लिए एकाग्रता के साथ ही संतोष आवश्यक है। योग व प्रणायाम से मन शांत होता है जिससे जीवन तनाव मुक्त होता है।

 

एकाग्रता व संयम के लिए क्या करना चाहिए?

12 सेकंड तक एक ही चीज के बारे में सोचते हैं तो उसे एकाग्रता कहते हैं। 12 एकाग्रता का एक ध्यान होता है और 12 ध्यान की एम समाधि होती है। इसे जीवन में अपनाने से जीवन संयमित होता है और मन को शांति मिलती है।

 

लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

गीता में लिखा है कि सुखी रहना चाहते हैं तो इच्छाआें को कम करें। इच्छा ही दु:ख का कारण है। प्रात: काल उठना चाहिए। सूरज निकलने से पहले उठना तरक्की की राह खोलता है। योग व ध्यान को अपनाकर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।

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