लोगों का कहना है कि गर्मी पड़ते ही नदी सूख जाती है। ऐसे में नदी का गहरीकरण कराया जाना अत्यंत आवश्यक है। इस वजह से ही नगर में पेयजल की समस्या भी उत्पन्न होने लगी है। लोगों ने बताया कि नदी के उथली होने का एक दूसरा सिंचाई विभाग की ओर से प्रतिवर्ष पानी से खुलने वाली भूमि को खेती के लिए पट्टा दिया जाना है। वे लोग मशीन से खेती करने के लिए उसे समतल कर देते हैं। इससे भी समस्या हो रही है। संबंधित विभाग को इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
मटन मार्केट से बढ़ा है प्रदूषण
छपारा नगर की गंदगी से वैनगंगा नदी प्रदूषित हो रही है। इसके बारे में सोचने की फुर्सत किसी को नहीं है। वैनगंगा नदी के तट के पास देशी शराब दुकान और मटन, मछली मार्केट है, जिससे गंदगी वैनगंगा नदी में प्रवाहित होती है।
छपारा नगर की गंदगी से वैनगंगा नदी प्रदूषित हो रही है। इसके बारे में सोचने की फुर्सत किसी को नहीं है। वैनगंगा नदी के तट के पास देशी शराब दुकान और मटन, मछली मार्केट है, जिससे गंदगी वैनगंगा नदी में प्रवाहित होती है।
वर्जन –
जमीन का पट्टा नियमानुसार दिया जाता है। छपारा नगर के किनारे यदि नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है तो इस संबंध में नगर परिषद से पत्राचार किया जाएगा।
जमीन का पट्टा नियमानुसार दिया जाता है। छपारा नगर के किनारे यदि नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है तो इस संबंध में नगर परिषद से पत्राचार किया जाएगा।