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सिवनी

आजीविका से जुड़े कार्य पर रहेगा फोकस – कलेक्टर

– कानून व्यवस्था बनाएंगे बेहतर – पुलिस अधीक्षक
– नवागत कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक ने ग्रहण किया पदभार

सिवनीJun 25, 2024 / 06:41 pm

akhilesh thakur

कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक

सिवनी. नवागत कलेक्टर संस्कृति जैन व पुलिस अधीक्षक सुनील मेहता ने सोमवार को पदभार ग्रहण कर लिया। नवागत कलेक्टर जैन सुबह कार्यालय पहुंची, जबकि पुलिस अधीक्षक शाम को कार्यालय में अपनी उपस्थिति दिए। कलेक्टर जैन दोपहर में मीडिया से मुखातिब हुई। उन्होंने बताया कि वह वर्ष 2015 बैच की आइएएस है। परिवीक्षा अवधि के दौरान वह नर्मदापुरम में तैनात रही। मऊगंज की एसडीएम, अलीराजपुर में सीइओ जिला पंचायत रह चुकी है। कुछ समय के लिए वह सतना में भी तैनात रही। नगर निगम आयुक्त रीवा के पद से उनको कलेक्टर बनाकर सिवनी भेजा गया है।

उन्होंने कहा कि आजीविका से जुड़े कार्य उनकी प्राथमिकता में रहेंगे। शासन की योजनाओं का लाभ आमजनों तक पहुंचाया जाएगा। जरूरतमंदों को सुलभता से लाभ मिले इस दिशा में कार्य किए जाएंगे। उन्होंने जिले के वर्तमान हालात पर चर्चा करते हुए जागरूक नागरिकों से किसी मामले की जानकारी होने पर समय से पूर्व सूचना देने की बात कही है ताकि किसी प्रकार की अनहोनी को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि सूचना देने वाले को उसका श्रेय भी मिलेगा।

उधर शाम को कार्यालय पहुंचे नवागत पुलिस अधीक्षक मेहता ने पदभार ग्रहण करने के बाद कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता कानून व्यवस्था को स्थापित करना है। हर हॉल में अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाएगा। उन्होंने ‘पत्रिका’ को बताया कि वर्ष 2016 में आइपीएस अवार्ड होने के बाद वे एसपी इंटेलीजेंस बने। सिंहस्थ के दौरान उज्जैन में उनकी तैनात रही। इसके पूर्व वे बतौर एएसपी सीहोर व मंदसौर में सेवाएं दे चुके हैं। मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ जब एक थे तो वे भिलाई में बतौर सीएसपी तैनात रहे। इसके अलावा वे धार, बालाघाट, मंदसौर व पीथमपुर में भी सीएसपी रह चुके हैं। देहात एसपी इंदौर के पद से उनका स्थानांतरण पुलिस अधीक्षक सिवनी के पद पर हुआ है।
नवागत कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के सामने कम नहीं है चुनौतियां-
नवागत कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद कार्य में जुट गए हैं। दोनों के सामने चुनौतियों का अंबार है। कलेक्ट्रेट सहित जिले के अलग-अलग विभाग के कार्यालयों में प्रभारी भरे पड़े है। इनमें अधिकांश पांच से 10 सालों से जमे हैं। कलेक्टर के सामने उनका नंबर बढ़ाने की जिम्मेदारी भी कलेक्ट्रेट में तैनात एक ने ले ली है। हालात इतने खराब है कि शासन से यदि किसी को संबंधित पद पर भेजा जाता है तब भी प्रभारी पद नहीं छोड़ता और संबंधित अधिकारी दूसरा काम करते हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग इसका उदाहरण है, जहां चार वर्ष में दो क्षेत्र संयोजक की तैनात हुई, लेकिन प्रभारी काम करते रहे। ‘पत्रिका’ ने 10 जून को खबर प्रकाशित किया इसके बाद क्षेत्र संयोजक को प्रभार मिला। कलेक्ट्रेट में बिचौलियों का भी बोलबाला है। एक विभाग प्रमुख ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कई बार ऐसी स्थिति बनती है यदि सीधा कलेक्टर से कोई मिल लिया तो बिचौलिया नाराज हो जाता है। सीएम हेल्पलाइन में बीते कुछ वर्ष पूर्व कुरई में तैनात एक लिपिक की शिकायत किसी ने की। उस शिकायत की सत्यता जांचने और उस पर कार्रवाई करने के बजाए सीएम हेल्पलाइन से जुड़े जिम्मेदारों ने शिकायतकर्ता की तलाश शुरू कर दी। यदि एक साथ कलेक्टर ने कई कर्मचारियों को नोटिस जारी किया या निलंबित कर दिया तो कलेक्ट्रेट में उसका जवाब बनवाने और बहाल कराने वाले सक्रिय हो जाते है। बात नहीं बनने पर कई बार निलंबित कर्मचारी धरना-प्रदर्शन करते और कमिश्नर के यहां फरियाद लगाते हैं। ऐसा मामला सामने आ चुका है। एक निलंबित कर्मचारी ने इसकी पुष्टि की है। खास है कि बिचौैलिए की भूमिका निभाने वाले बाहरी नहीं बल्कि कलेक्ट्रेट में ही तैनात है।

पुलिस अधीक्षक के सामने मवेशी हत्याकांड के फरार आरोपियों को पकडऩा पहली चुनौती है। डूंडासिवनी थाने में तैनात प्रधान आरक्षक की हत्या करने वाला मुख्य आरोपी अभी तक पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाया है। जिले से होने वाले गौ-वंश की तस्करी पर अंकुश लगाना। जिले में चल रहे जुआफड़ व अन्य अवैध गतिविधियों को रोकना उनके लिए आसान नहीं होगा। अब देखना यह है कि दोनों नवागत अधिकारी इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं। या सबकुछ पूर्व की तरह जारी रहेगा।

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