विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वायु प्रदूषण सालाना 40 लाख लोगों की असमय मृत्यु का कारण बनता है। वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि 10 माइक्रोन या उससे कम व्यास वाले पीपीएम 10 कण भी हमारे फेफड़ों तक आसानी से पहुंच सकते हैं। इसलिए पीपीएम 2.5 धूलकण और भी खतरनाक होते हैं, क्योंकि वे फेफड़ों में गहुत गहराई तक प्रवेश कर उन्हें छलनी कर सकते हैं। इतना ही नहीं वे हमारे रक्त में प्रवेश कर क्रॉनिक एक्सपोजर के जरिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय और श्वसन रोग का कारण भी बन सकते हैं।
ऑस्ट्रिया की ग्राज़ यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी (टीयू ग्राज़) के वैज्ञानिकों ने यह सेंसर बनाया है जिसकी लागत तो कम है ही कॉम्पैक्ट होने के साथ यह रियल टाइम में यूजर को हवा में मौजूद खतरनाक प्रदूषकों से सावधान कर सकता है। शोधकर्ताओं ने सेमीकंडक्टर निर्माता एम्स एजी और सिलिकॉन ऑस्ट्रिया लैब के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर वायु की गुणवत्ता परखने वाले परंपरागत उपकरणों में इस्तेमाल किए गए सेंसर्स का उपयोग कर उन्हें और छोटा बनाया। इस हाइब्रिड फाइन पार्टिकल एयर पॉल्यूशन सेंसर का आकार एक यूरो सेंट से भी छोटा है। यह केवज 12 मिमि लंबा, 9 मिमि चौड़ा और 3 मिमि मोटा है।
शोध का नेतृत्व करने वाले टीयू ग्राज़ के शोधकर्ता पॉल मेयरहॉफर का कहना है कि इतना छोटा होने के बावजूद यह कमाल की चीजें कर सकता है और पूरी तरह काम करता है। आकार में छोटो होने के कारण यह सेंसर आसानी से किसी भी स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच या फिटनेस रिस्टबैंड में लगाया जा सकता है। यह रियल टाइम में हवा में मौजूद प्रदूषकों और बारीक धूलकणों की निगरानी करता है और हवा में उनकी मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंचने बढ़ने पर यह उपयोगकर्ता को सचेत करते हैं।