इस आविष्कार का मुख्य उद्देश्य, किसी बड़ी भीड़, सार्वजनिक या दूर-दराज के इलाकों में सौर ऊर्जा से चलने वाले इस सेल्फ जेनरेटिंग डिसिन्फेक्शन सिस्टम के जरिए कोविड-19 या इसी तरह की अन्य बीमारियों को फैलने से रोकना है। दूर-दराज के ऐसे इलाकों में, जहां बिजली कटौती आम बात है, वहां यह रोगाणुनाशक आविष्कार, कोविड-19 या उस जैसी अन्य बीमारियों पर काबू पाने में कारगर साबित होगा।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विभाग प्रमुख, मोहम्मद इमरान खान ने कहा, “यह सौर उपकरण पीवी मॉड्यूल, चार्ज रेगुलेटर, इन्वर्टर और बैटरी सिस्टम से लैस होगा। इलेक्ट्रोलाइटिक रोगाणुनाशक जनरेटर एक दूसरे के साथ जुड़े रहेंगे। इसके चैम्बर के अंदर से कीटाणुनाशक फुहार निकलेगी जो वहां से गुजरने वाले व्यक्तियों की किसी भी हानिकारक संक्रमण या बैक्टीरिया से रक्षा करेगी।”
यह आविष्कार उस स्थिति में बहुत कारगर साबित होगा, जहां बड़े पैमाने पर लोग एकत्र होते हैं। ऐसे में इस उपकरण को उस सभा स्थल के प्रवेश द्वार पर लगा दिया जाएगा। यह बहुत ही सरल, इको फ्रैंडली, नॉन टॉक्सिक उपकरण है। इसमें किसी तरह की जटिलता नहीं है। इसे संचालित करने के लिए थोड़ी मात्रा में पानी की जरूरत होती है और दूसरी रोगाणुनाशक प्रणालियों की तुलना में अपने आप में समग्र और कम लागत वाली प्रणाली है। बिजली की कमी वाले दूर-दराज के इलाकों में यह प्रणाली कोविड -19 की वर्तमान स्थिति को रोकने में मददगार होगी।
जामिया विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा, “ऐसे इलाकों, जहां रोगाणुनाशक रसायनों और बिजली की उपलब्धता की कमी हो, वहां के सार्वजनिक स्थानों जैसे बैंकों, मॉल, अस्पतालों, मैरिज हॉल, पार्टी हॉल, हवाई अड्डों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों, मंदिरों, कॉलेजों आदि में सौर ऊर्जा से चलने वाली यह प्रणाली, कोविड-19 और उस जैसी संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों को काबू पाने काफी कारगर होगी।”