scriptजुगाड़ तकनीक: किसान ने किया स्कूटर के इंजन का खेत जुताई में इस्तेमाल | farmer invented scooter engine used in plowing field | Patrika News

जुगाड़ तकनीक: किसान ने किया स्कूटर के इंजन का खेत जुताई में इस्तेमाल

Published: Aug 24, 2019 05:45:24 pm

Submitted by:

Priya Singh

किसान को था बैलों का आभाव, स्कूटर के इंजन का इस्तेमाल कर बनाया हल
ऐसा यंत्र बनाने का मिल रहे हैं आर्डर
यंत्र का नाम है पोर्टेबल पावर टिलर

farming.jpg

,,

नई दिल्ली। कहा जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। इस कहावत को एक बार फिर चरितार्थ कर दिखाया है हजारीबाग के टाटीझरिया के एक किसान ने, जिसने बैलों के अभाव में एक स्कूटर के इंजन का इस्तेमाल कर खेत जोतने वाला यंत्र बना लिया। आज इस किसान की चर्चा न केवल पूरे क्षेत्र में हो रही है, बल्कि इस यंत्र को बनाने के लिए उसे ऑर्डर भी मिल रहे हैं।

हजारीबाग जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर उच्चघाना गांव के किसान 33 वर्षीय महेश करमाली ने गांव-घर में चल रही ‘जुगाड़ तकनीक’ के सहारे एक स्कूटर के इंजन का प्रयोग कर खेत जुताई का उपाय ढूंढ़ लिया, बल्कि इसके उपयोग से वे खेत की जुताई कर रहे हैं। महेश करमाली ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपने इस नवाचार का नाम ‘पोर्टेबल पावर टिलर’ रखा है।

उन्होंने बताया, “महाराष्ट्र में करीब सात वर्षो तक बजाज ऑटो के एक वर्कशॉप में काम किया, मगर मैट्रिक पास नहीं रहने के कारण वहां नौकरी स्थायी नहीं हुई और घर वापस आ गया। यहां आने के बाद खेती के अलावा पेट भरने के लिए कोई रोजगार नहीं था।” उन्होंने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी है, कि न तो वह बैल खरीद सकते थे और न ही ट्रैक्टर।

इस बीच वह छोटे ट्रैक्टर का रूप बनाने की सोचने लगे। उन्होंने बताया कि अपने दोस्त के गैराज से उन्होंने पुराने बजाज चेतक स्कूटर का स्क्रैप करीब 4500 रुपये में खरीदा और उसे विभिन्न तरीके आजमाकर छोटे ट्रैक्टर का रूप दे दिया, जिसमें ट्रैक्टर का छोटा हल लगा हुआ है। उन्होंने बताया, “मुझे बजाज में मैकेनिक के रूप में काम करके जो ज्ञान मिला था, उसने इस पॉवर टिलर को विकसित करने में बहुत मदद की। मुझे इसे बनाने में तीन दिन लग गए।”

indian_green.jpg

अपने इस नवाचार के उपयोग के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पावर टिलर को बनाने में करीब 9000 रुपये खर्च आए, जो केवल 2़5 लीटर पेट्रोल खर्च पर पांच कट्ठा जमीन अर्थात पांच घंटे की भरपूर जुताई करता है। रमेश की यह मशीन पूरे गांव के लिए प्रेरणादायी बन गई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “यह एक पारंपरिक ट्रैक्टर की तुलना में सस्ता और अधिक कुशल है।”

इसे बनाने की तरकीब के विषय में पूछने पर महेश कहते हैं, “इसके लिए सबसे पहले 20 इंच बाई 41 इंच का चेचिस बनाया। अब इंजन और हैंडल की जरूरत पूरी करने के लिए स्कूटर का इंजन लगा दिया। गेयर बक्स, हैंडल और दोनों चक्कों को निकाल कर बनाए गए उस चेचिस में फिट कर दिया। पावर टिलर सही निकला।” महेश हालांकि अगले साल तक पावर टिलर के अधिक बड़े और शक्तिशाली संस्करण को लाने की योजना बना रहा है।

उन्होंने कहा, “मैं कम खर्च पर ही ऐसा वाहन बनाने की सोच रहा हूं, जिस पर ट्रैक्टर की तरह ही कोई भी सवारी कर सके और उससे खेत में जुताई भी कर सके। इसके अलावा उसका उपयोग फसलों की कटाई और अनाज निकालने (फसल दंवने) तक किया जाएगा।” महेश इस मशीन को बनाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने की भी योजना बनाया है। उन्होंने कहा कि कई लोग इस मशीन को देखने और बनाने की मांग कर रहे हैं। महेश के इस प्रयास से उसके परिवार के लोग भी खुश हैं।

इनपुट-आईएएनएस

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो