बता दें कि अशोक बैरवा खंडार विधानसभा से पांच बार चुनाव लड़े हैं और इनमें से चार बार चुनाव जीता है। अशोक बैरवा ने कनिष्ठ लेखाकार के पद से वीआरएस लेकर 1998 में कांग्रेस के टिकट से पहली बार चुनाव लड़ा और भाजपा के हरिनारायण बैरवा को हराया। इसके बाद ये लगातार दो चुनाव और जीते। इनमें 2003 में दूसरी बार भी भाजपा के हरिनारायण बैरवा और 2008 में फिर तीसरी बार भाजपा के हरिनारायण बैरवा को हराया।
इसके बाद 2013 में भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए इनके सामने जितेंद्र गोठवाल को चुनाव लड़ाया। हालांकि इन्होंने इनके विजय रथ पर थोड़ा अंकुश जरूर लगा। लेकिन फिर से 2018 के चुनावों में इन्होंने कांग्रेस के निर्णय को फिर से सही साबित करते हुए जीत हासिल की। अब 2023 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने इन पर विश्वास जताते हुए इनके चेहरे पर दांव खेला है।
सवाईमाधोपुर जिले की खंडार विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार सीट निकालने पर कांग्रेस सरकार ने इनको केबिनेट मंत्री बनाया था। इस दौरान ये 2008 से 2013 तक सामाजिक न्याय एवं अधिकारी मंत्री रह चुके हैं। इसके साथ ही से सूचना एवं जनसंपर्क राज्य मंत्री भी रहे।
खंडार विधानसभा से चार बार विधायक रह चुके अशोक बैरवा को सिर्फ एक बार जीत हासिल नहीं हुई। इनमें 2013 में त्रिकोणीय मुकाबला होने से ये भाजपा के जितेंद्र गोठवाल से हारे। तब इन्हें करीब 18 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी को 58 हजार वोट एवं इन्हें 40 हजार हजार वोट मिले। वहीं राजपा से चुनाव लड़े प्रत्याशी ने भी यहां 32 हजार वोट लिए। अब इस बार का भाग्य मतदाता तय करेंगे कि ऊंट किस करवट बैठता है।