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सतना

शिक्षाकर्मी घोटाला: निर्देश थे सुनवाई कर नियुक्ति निरस्त करने के, विभागीय जांच गठित कर मामला लटकाया

आयुक्त लोक शिक्षण के स्पष्ट आदेश के बाद भी फैसले से बच रहे अधिकारी
फिर बाहर आया संविलियन का जिन्न, जिपं सीईओ चार साल बाद भी नहीं ले सके निर्णय

सतनाSep 28, 2024 / 11:41 am

Ramashankar Sharma

सतना। रामपुर बाघेलान और अमरपाटन में हुए शिक्षाकर्मी घोटाले में विशेष न्यायालय ने चयन समिति के सदस्यों को दंडित कर दिया। साथ ही रामपुर के 65 और अमरपाटन के 57 अभ्यर्थियों के नामों के आगे उन गड़बडियों का उल्लेख किया, जिसके सहारे फर्जीवाड़ा करते हुए उन्हें नियुक्ति दी गई थी। जब वर्ष 2018 में अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों की राज्य शिक्षा सेवा कैडर में नियुक्ति की बारी आई तो जिला स्तरीय छानबीन समिति ने इन अभ्यर्थियों को नवीन नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना। शेष अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान कर दी गई। राज्य शिक्षा सेवा संवर्ग में नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों के आवेदनों पर तत्कालीन जिपं सीईओ ने आयुक्त लोकशिक्षण से मार्गदर्शन मांगा। मार्गदर्शन में कहा गया कि इन अभ्यर्थियों को सुनवाई का अवसर देते हुए नियुक्तियां निरस्त करने की कार्यवाही की जाए। लेकिन जिपं सीईओ ने ऐसा न करते हुए मामले को लिंगर आन करने विभागीय जांच संस्थित कर दी। जो कि शासन के मार्गदर्शन के विरुद्ध है। अब जिला पंचायत के सामान्य सम्मेलन में निर्णय दिया गया है कि 25 अक्टूबर तक इस मामले का निराकरण किया जाए। ऐसे में गेंद अब पूरी तरह से एक बार फिर से जिपं सीईओ के पाले में आ गई है।
इस तरह हुआ खेल

लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक केके द्विवेदी ने अगस्त 2021 को भेजे अपने मार्गदर्शन में कहा कि चयन समिति द्वारा पात्र अभ्यर्थियों को चयन से वंचित किए जाने के कारण चयन समिति को कारावास से दंडित किया गया। इससे स्पष्ट है कि ये नियुक्तियां अनियमित हैं। लिहाजा न्यायालय के निर्णय उपरांत तत्काल नियोक्ता प्राधिकारी को प्रकरण संज्ञान में लेते हुए नियुक्तियों को निरस्त करना चाहिए था, जो नहीं की गई। संचालक ने आगे बताया कि नियोक्ता प्राधिकारी द्वारा इन अभ्यर्थियों की अनियमित नियुक्तियों पर सुनवाई का अवसर प्रदान कर नियुक्तियां निरस्त करने की कार्यवाही की जानी चाहिए इस दौरान नियोक्ता प्रधिकारी जिला पंचायत सीईओ सतना को उन्होंने बताया। शासन के इस निर्णय के आधार पर जिपं सीईओ को सीधे अभ्यर्थियों की सुनवाई करना था और उनकी सेवा समाप्त कर देना था। लेकिन तत्कालीन सीईओ ने मामले को लटकाए रखने एक समिति सुनवाई के लिए गठित कर दी साथ ही विभागीय जांच भी संस्थित कर दी। रामपुर बाघेलान के अभ्यर्थियों को लेकर यह मामला अपनाया गया था कि 2022 में अमरपाटन का भी फैसला आ गया। यह भी रामपुर बाघेलान जैसा था। लिहाजा इसमें विभागीय जांच तो नहीं संस्थित की गई लेकिन सुनवाई समिति गठित कर दी गई।
रामपुर का मामला ठंडे बस्ते में

रामपुर मामले में अभ्यर्थियों की सुनवाई के लिए सहायक संचालक एनके सिंह और लेखाधिकारी देवेन्द्र द्विवेदी को रखा गया। इन्होंने सुनवाई तो कर ली लेकिन अभिमत सहित प्रतिवेदन नहीं सौंपा। वहीं विभागीय जांच जो एसडीएम के नेतृत्व में चल रही है वह भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई है और अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
अमरपाटन समिति की भारी अनियमितता

उधर अमरपाटन सुनवाई समिति में सहायक संचालक एनके सिंह, प्राचार्य अश्वनी पाठक और लेखाधिकारी देवेन्द्र द्विवेदी को रखा गया। इस समिति को 57 प्रकरणों में सुनवाई करनी थी। लेकिन समिति ने जब अपनी रिपोर्ट सौंपी तो इसमें 83 लोगों को नियुक्ति के लिए पात्र बता दिया। जब इस प्रतिवेदन को देखा गया तो अधिकारियों के होश उड़ गए। समिति ने उन 26 लोगों के नाम भी शामिल कर दिए थे जो शिक्षाकर्मी के रूप में चयनित ही नहीं किए गए थे।
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समिति सदस्यों पर था भारी दबाव

हालांकि इस मामले में समिति सदस्य पाठक ने पृथक से जिपं सीईओ को पत्र दिया, जिसमें उन्होंने इस रिपोर्ट से असहमति जताते हुए बताया कि उन्होंने रिपोर्ट में दबाव वश हस्ताक्षर कर दिए है। जो शिक्षा कर्मी ही नहीं है उन्हें नियुक्ति देने के प्रस्ताव पर जिपं सीईओ ने एनके सिंह के विरुद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव शासन को भेजने निर्देश दिए। हालांकि अभी तक यह प्रस्ताव नहीं भेजा गया। दबाव का मामला सामने आने के बाद तत्कालीन जिपं सीईओ ने इस रिपोर्ट को निरस्त कर दिया। इस दौरान यह मामला भी सामने आया था कि जांच रिपोर्ट एक सदस्य ने स्थानीय मंत्री को पहले ही लीक कर दी थी। जिसके बाद काफी बवाल हुआ था।
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दूसरी समिति में भी खेल

इसके साथ ही नई समिति गठित की जिसमें बीईओ रामनरेश पटेल, टीके मिंज प्राचार्य और लेखाधिकारी देवेन्द्र द्विवेदी को रखा गया। इस समिति ने 57 में से 26 की नियुक्ति की अनुशंसा की। लेकिन आधार पिछली त्रुटिपूर्ण नियुक्तियों को बनाया। इस रिपोर्ट पर जिपं सीईओ ने कहा कि अगर एक बार कुछ त्रुटि हो गई है तो उसे आधार बनाकर 26 त्रुटियां नहीं की जा सकती हैं। इसमें भी चौंकाने वाली बात यह रही कि रिपोर्ट सौंपने के बाद रामनरेश पटेल ने अभ्यर्थियों में अपने रिश्तेदारों के होने का हवाला देते हुए खुद को समिति से अलग करने पत्र दिया। इससे दूसरी रिपोर्ट भी दूषित मान ली गई। तब से मामला ठंडे बस्ते में रखा हुआ था।
“सारी प्रक्रिया जिला पंचायत से होनी है। इसमें निर्णय भी जिपं सीईओ को लेना है। लोक शिक्षण मार्गदर्शन दे चुका है। जो भी निर्णय होगा उसका पालन किया जाएगा।” – नीरव दीक्षित, डीईओ

“चूंकि मामला हमारे समय का नहीं है। 11 को बैठक बुलाई गई है। सभी अभिलेखों का परीक्षण किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया देखी जाएगी। उसके अनुसार आगे की कार्यवाही की जाएगी।” – संजना जैन, जिपं सीईओ

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