सॉफ्टवेयर में विभिन्न विभागों को लिंक करने की सुविधा है। इससे उन्हें अपने कामों के लिए पंजीयन कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पंजीयन उप महानिरीक्षक उमाशंकर वाजपेयी ने बैंकों को संपदा 2.0 से जुड़ने की सलाह दी है।
इस तरह होगा पंजीयन
संपदा 2.0 में पंजीयन (Sampada 2.0 Registraion) के लिए आधार और ई-केवाईसी (e-KYC) की जरूरत होगी। संबंधित लोगों के बॉयोलॉजिकल आइडी से दस्तावेज तैयार होंगे। संबंधित व्यक्ति को सत्यापित करना होगा। सभी पक्षकारों का अलग-अलग माध्यम से ऑनलाइन वैरिफिकेशन होगा। इसके बाद ही आप सुविधा का लाभ ले सकेंगे। ये भी पढ़ें: MP Tourism: टूरिस्ट के लिए बड़ी खुशखबरी, रातापानी सेंचुरी में बनेंगे टाइगर रिजर्व जैसे नए ट्रैक, अब Tiger देखना होगा आसान
यह हो रहे सुधार
मध्य प्रदेश में अभी चार जिलों में जो समस्याएं आ रही हैं उन्हें सुधारा जा रहा है। मसलन संपत्तियों (जमीन और भवनों) की गलत पॉलीगॉन मैपिंग को सही किया जा रहा है। नगरीय निकायों में कॉलोनी आइडी जनरेट की जा रही है। इसके बाद कहीं से भी जियो टैगिंग से उस जगह की संपत्ति की वैल्यू पता चल जाएगी। भवन वाले प्लॉट को खाली प्लॉट के रूपमें भी पंजीकृत करवा कर स्टाम्प ड्यूटी की चोरी नहीं हो सकेगी। जिला पंजीयक कीर्ति सिंह ने बताया कि इससे आम लोगों को भी काफी फायदा होगा। इसके पूरी तरह से लागू होने के बाद इसमें रेंट एग्रीमेंट, कम वर्षों के लिए लीज, कर्ज से संबंधित दस्तावेज, बैंक से संबंधित दस्तावेज और ऐसे दस्तावेज जिनका रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं है, लेकिन फिर भी लोग कराते हैं।
इसमें इक्विलिटी मॉडगेज, प्लॉट एवं संपत्ति और चल संपत्ति पर लोन के लिए दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन कराने पंजीयन कार्यालय आने की जरूरत नहीं होगी। जनता को सुविधा देने के लिए सॉफ्टवेयर में नए फीचर्स भी जोड़े गए हैं।
आम जनता को यह होगा फायदा
वाजपेयी ने बैंकर्स को बताया कि संपदा 2.0 में जो सुविधा दी गई है उसके तहत वे एक तरीके से उप पंजीयक की भूमिका में आ जाएंगे। इसके बाद उन्हें अपने सामयिक बंधक जैसे दस्तावेजों की सूचना देने के लिए जिला पंजीयन कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। उन्हें स्टाम्प आदि प्राप्त करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर या जिला पंजीयन कार्यालय आना पड़ता था। संपदा 2.0 के बाद वे अपने स्टाम्प खुद तैयार कर लेंगे। हाउसिंग बोर्ड जैसी संस्था को भी आसानी होगी।