जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने संभल हिंसा को अस्वीकार्य बताया। मौलाना महमूद मदनी ने बताया कि संभल में पुलिस-प्रशासन ने जो अमानवीय अपराध किया है, वह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हम इसके खिलाफ हर स्तर पर इंसाफ की लड़ाई लड़ेंगे और पीड़ितों एवं गिरफ्तार निर्दोषों को न्याय दिलाएंगे। इसके साथ ही संभल, अमरोहा और मुरादाबाद तीनों जिलों के पदाधिकारियों पर आधारित एक राहत समिति भी गठित की, जिसके संयोजक संभल जमीयत के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद शाहिद को बनाया है।
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‘बयान बदलने के लिए मजबूर कर रही पुलिस’
इसके अलावा, पीड़ितों और बंदियों को मजबूत कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक कानूनी समिति का गठन किया जाएगा। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने अमानवीय व्यवहार के लिए पुलिस की आलोचना की। उन्होंने घायल व्यक्तियों को बेड़ियों से बांधने पर कड़ी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि पुलिस बंदियों को अपने बयान बदलने के लिए मजबूर कर रही है, इस कृत्य को उन्होंने गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण बताया। यह भी पढ़ें
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बैठक में शामिल हुए ये लोग
आपातकालीन बैठक में मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, मौलाना कारी शौकत अली, मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी सहित कई प्रमुख नेता शामिल हुए। हाफिज मोहम्मद शाहिद (संयोजक), मौलाना अनस, कारी यामीन (अमरोहा), मौलाना अब्दुल गफूर, हाफिज दिलदार, मुफ्ती अरबाब और मौलाना गयूर अहमद कासमी (दिल्ली) शामिल थे। बैठक और प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न क्षेत्रीय प्रतिनिधियों की भी भागीदारी देखी गई, जिनमें जमीयत उलमा संभल के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद शाहिद; मौलाना अब्दुल गफूर, उपाध्यक्ष; मौलाना नदीम अख्तर, महासचिव; कारी रियाज़ुद्दीन; मौलाना कलामुद्दीन, पैरामाउंट मस्जिद, मुरादाबाद के इमाम और खतीब; मौलाना मुफ्ती अबू बकर मंसूरपुरी; मुफ्ती अब्दुल हक कासमी; कारी नफीस; हाजी नसीम,मुरादाबाद; मौलाना अब्दुल जब्बार जोया; मौलाना अनस; और सलमान भाई. एक राहत समिति भी बनाई गई है, जिसमें मौलाना शाहिद, मौलाना अनस, अमरोहा से कारी यामीन, मौलाना अब्दुल गफूर, हाफिज दिलदार, मुफ्ती अरबाब और दिल्ली से मौलाना गयूर अहमद कासमी जैसे सदस्य शामिल रहे।