यह भी पढ़ें- यूपी उपचुनाव: अखिलेश-मायावती का गठबंधन मुस्लिम-दलित बहुल इस सीट पर बिगाड़ सकता है भाजपा के समीकरण सहारनपुर में जातीय हिंसा की आग में जलने के बाद सहारनपुर पुलिस प्रशासन की ओर से 4 नवंबर को चन्द्रशेखर पर रासुका की कार्रवाई की गई थी। इस दिन सहारनपुर पुलिस प्रशासन ने चन्द्रशेखर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध कर दिया था। 9 मई 2017 को सहारनपुर में जातीय हिंसा की आग भड़क उठी थी और इस घटना को लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से भीम आर्मी के कई पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे। इसके बाद चंद्रशेखर उर्फ रावण फरार हो गया था और 8 जून को सहारनपुर पुलिस और एसटीएफ की टीम ने हिमाचल के डलहौजी से चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया था। 8 जून से ही चंद्रशेखर सहारनपुर जिला जेल में बंद है।
यह भी पढ़ें- सपा के दिग्गज नेताओं ने सीएम योगी को दिखाए काले झंडे तो पुलिस ने लूट, डकैती, मारपीट जैसी गंभीर धाराओं में दर्ज किया केस ज्ञात हो कि नवंबर में रावण को सभी मामलों में कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन पुलिस ने इसके खिलाफ रासुका की कार्रवाई कर दी थी। यही कारण है कि सभी मामलों में जमानत मिल जाने के बाद भी आज तक भीम आर्मी का संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण जेल से बाहर नहीं आ सका है। बता दें कि रासुका पर प्रत्येक 3 माह बाद न्यायालय में सुनवाई होती है, पिछली 12 जनवरी माह में रासुका पर सुनवाई हुई थी और उस दौरान अदालत ने 3 माह के लिए फिर से रासुका को बढ़ाते हुए जमानत की याचिका खारिज कर दी थी। अब एक मई को एक बार फिर से रासुका पर सुनवाई थी और जमानत की याचिका चंद्रशेखर उर्फ रावण के वकील की ओर से दाखिल की गई थी, लेकिन अदालत ने फिर से जमानत की याचिका को रद्द करते हुए चंद्रशेखर उर्फ रावण की रासुका अवधि को 3 माह के लिए बढ़ा दिया है।