स्किन विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. राघव गुप्ता और दो जेआर तैनात हैं। एक विशेषज्ञ के भरोसे हर दिन करीब 200 मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी होती है। बीएमसी में सागर सहित आसपास के जिलों से लोग त्वचा रोग के उपचार के लिए आते हैं। स्किन से संबंधित अधिकांश बीमारियों का इलाज मंहगा होता है लिहाजा लोग बीएमसी में बड़ी उम्मीद से पहुंचते हैं। लेकिन यहां लोगों को निराशा हाथ लगती है।
थर्मोरेगुलेटरी रूम, आइसोलेशन वार्ड भी नहीं- स्किन की कई बीमारियों में मरीज को बर्न वार्ड की तरह तापमान नियंत्रक रूम में रखा जाना जरूरी होता है, लेकिन इसके लिए थर्मोरेगुलेटरी रूम का अभाव है। कुष्ट रोग व अन्य चर्म रोग जैसी संक्रमक बीमारी के मरीजों को अलग से रखने के लिए सेपरेट आइसोलेशन वार्ड भी नहीं है।
नागपुर-इंदौर जा रहे मरीज- विटिलिगो यानी शरीर में सफेद दाग की बीमारी के केस गांव-गांव से सामने आते हैं। बड़ों के लिए दवाओं के लगातार सेवन से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन छोटे बच्चों में ये दवाएं लीवर पर असर डाल सकतीं हैं। ऐसे में परिजन दवा खिलाने की जगह मशीन से चमड़ी की सिकाई का ऑप्शन अपनाते हैं। बीएमसी में सफेद दाग और अन्य स्किन डिसीज के लिए दवा से इलाज तो हो सकता है लेकिन मशीन से उपचार की व्यवस्था नहीं है। यूवी रेडिएशन से इलाज के लिए एनपीयूवी मशीन की मांग की जा रही है, लेकिन बजट का अभाव बताया जा रहा है।
बुंदेलखंड में सामने आती हैं स्किन की प्रमुख समस्याएं- स्कैबी, सफेद दाग, कुष्ट रोग, मुंहासे, फोड़ा-फुंसी, रूसी, गंजापन, एडिय़ों की बिवाई, छाजन, सारिआसिस, लाइकेन स्क्लेरोसस, त्वचा का रंग बदलना, घमौरी, दाद, रोसैसिया जैसी समस्याओं को लेकर लोग बीएमसी पहुंचते हैं।
स्किन विभाग की ये प्रमुख जरूरतें- -एनपीयूवी मशीन -एंडोक्रिनोलॉजिस्ट -रियूमेटोलोजिस्ट -थर्मोरेगुलेटरी रूम -आइसोलेशन रूम गर्मी में बढ़ेगी स्किन की समस्या, स्वयं बरतें सावधानी- स्किन विभाग के डॉक्टर्स की मानें तो गर्मियों में स्किन की समस्या बढ़ जाती है। अलग-अलग रोग के लिए अलग तरह का उपचार होता है। लेकिन गर्मी में मुख्यत: हीट रैशेज, धूप से एलर्जी जैसी समस्या आती है। खुजली की समस्या होने लगती है। हीट रैशेज की समस्या से बचने गर्मियों में हमेशा एसी में न रहें। थोड़ा व्यायाम भी करें, ताकि पसीना निकलने के लिए त्वचा के छिद्र खुले रहें। हल्के सूती और ढीले कपड़े पहनें। कई लोगों को धूप से एलर्जी होती है और उनकी त्वचा लाल पडऩे लगती है। इसके लिए जरूरी है कि आप धूप से बचाव करें।
-संसाधन और स्टाफ बढ़ाने के प्रयास प्रबंधन द्वारा किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग के मर्जर से अब विभाग में जल्द ही सभी संसाधन व मशीनरी उपलब्ध होने की संभावना है। आइसोलेशन व थर्मोरेगुलेटरी रूम, चमड़ी सिकाई की मशीन की मांग की है। इस वर्ष बजट मिलते ही मशीन भी आ जाएगी। कार्य का बोझ तो है लेकिन इलाज में इसका कोई असर नहीं होता।
डॉ. राघव गुप्ता, विभागाध्यक्ष स्किन।