इसी तरह का दूसरा केस सिरोंजा का है। जहां 25 वर्षीय मोहित राजपूत की विगत वर्ष दोनों किडनी खराब हो गईं थीं। 25 वर्षीय जवान बेटे की जान आफत में थी, फिर मां ने अपनी एक किडनी देकर बेटे की जान बचाई।विगत वर्ष 2023 में मेडिकल बोर्ड ने 16 किडनी ट्रांसप्लांट के केस में मंजूरी दी थी, जिसमें से 5 मामलों में मां ने अपनी संतान को किडनी देकर जान बचाई। इसमें सागर ही नहीं, छतरपुर, टीकमगढ़ जिले के केस भी शामिल हैं। इस वर्ष चार माह में किडनी ट्रांसप्लांट के 7 केस को मंजूरी दी गई है जिसमें 2 केस में मां ने अपने बेटे को एक किडनी देकर उसकी जान बचाई है।