सागर. चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के मर्जर की घोषणा के बाद अभी भी मर्जर के दिशा-निर्देश नहीं आए हैं। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) डीन डॉ. रमेश पांडेय ने नियमों को लेकर डीएमई (डायरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन) से मार्गदर्शन मांगा है। उन्होंने सलाह मांगी कि बीएमसी जिला अस्पताल की बिल्डिंग का क्या उपयोग कर सकता है। एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) टीम को बुलाकर जिला अस्पताल की बिल्डिंग दिखा सकता है। अनुमति मिले तो 5 साल से अटकी 250 यूजी सीटों पर मान्यता भी जारी हो जाए। हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो मान्यता के लिए बीएमसी को कई बड़ी चुनौतियों को पार करना होगा, लेकिन मर्जर से उम्मी जगी है लेकिन दिशा-निर्देश में लेटलतीफी से संशय की स्थिति अभी भी बनी हुई है।
विगत माह कैबिनेट की बैठक में सीएम ने चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग का मर्जर किया था। इस मर्जर से क्षेत्र के लोग उत्साहित हैं। सागर में जिला अस्पताल और बीएमसी के मर्जर का सबसे बड़ा कारण 250 यूजी सीटों की मान्यता है, जो पिछले 5 सालों से इंफ्रास्ट्रक्चर न होने के कारण अधर में लटकी है। ऐसे में बीएमसी प्रबंधन जल्द से जल्द जिला अस्पताल की बिल्डिंग उपयोग करने को लेकर आतुर है, ताकि मान्यता अनुसार वह 250 एमबीबीएस छात्रों के प्रवेश कर सके। मर्जर के एक माह बाद भी स्वास्थ्य विभाग और बीएमसी प्रबंधन किसी के पास भी मर्जर से संबंधित कोई नियम नहीं आए हैं। प्रबंधन की मंशा है कि नियम जल्द से जल्द स्पष्ट हों ताकि वह एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) टीम को निरीक्षण के लिए बुला सके। इसी को लेकर डीन डॉ. आरएस वर्मा ने डीएमई भोपाल से मार्गदर्शन मांगा है।
बने बनाए भवन से होगी 12-15 माह की बचत- बीएमसी को 2019 में ही 250 एमबीबीएस सीटों की मान्यता मिल गई थी, संसाधन जुटाने बजट भी जारी हो गया था। लेकिन जगह की कमी के कारण 5 साल में बीएमसी प्रबंधन 300-300 क्षमता वाले न तो लेक्चर हॉल बना पाया और ना ही 350 बेड की नई अस्पताल। 250 सीटों के हिसाब से स्टाफ की भर्तियां भी नहीं हो पाईं। ऐसे में मर्जर से उम्मीद है कि बीएमसी को बनी बनाई जिला अस्पताल की बिल्डिंग मिलेगी तो प्रबंधन तत्काल एनएमसी की टीम को निरीक्षण के लिए बुला लेगा और 250 सीटों पर प्रवेश की अनुमति मांग लेगा। भर्तियों की अनुमति भी राज्य शासन से मांग लेगा। नए भवन बनाने में लगना वाले करीब 12-15 माह के समय की भी बचत होगी।
250 यूजी सीटों की 4 बड़ी चुनौतियां- -एनएमसी से प्रवेश की अनुमति लेना। -राज्य शासन से स्टाफ के पदों को भरना। -सुपरस्पेशलिटी की सुविधा शुरू करना। -इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना। -250 सीटों के लिए हमारे पास बजट पहले से आ चुका है। इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पहले से डीपीआर के बाद एजेंसी भी तय हो चुकी थी। उसके बाद स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग का मर्जर हो गया। मर्जर के अभी कोई दिशा-निर्देश हमारे पास नहीं आए हैं, डीएमई से मार्गदर्शन मांगा गया है। यदि जिला अस्पताल की बिल्डिंग का निरीक्षण कराने की अनुमति मिलती है तो एनएमसी से आग्रह किया जाएगा कि वह हमारी व्यवस्थाएं देखकर हमें 250 यूजी सीटों पर प्रवेश की अनुमति दे।
डॉ. रमेश पांडेय, डीन बीएमसी।