सागर. बेटे ही नहीं बेटियां भी आज के समय में बेटों की तरह माता-पिता के प्रति पूरा फर्ज निभाती हैं। बेटों की ओर से की जाने वाली धार्मिक रस्मों को निभा रही हैं। पहले पिता की चिता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है। बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकतीं। इस रूढि़वादी सामाजिक सोच से ऊपर उठकर बेटी श्रेया और मिस्टी ने गुरुवार को अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। जब बेटियों ने अंतिम संस्कार किया तो वहां मौजूद हर एक शख्स की आंखों में आंसू आ गए।
दरअसल स्थानीय इंदिरा गांधी इंजीनियरिंग महाविद्यालय में पदस्थ मनोज पुष्पद की लंबी बीमारी के उपरांत गत दिवस इंदौर की निजी अस्पताल में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार सुबह 10 बजे आवासीय परिसर में किया गया। पुष्पद की दो बेटियां हैं। पुत्र नहीं होने से बड़ी बेटी तनु एवं छोटी बेटी मिस्टी अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। मनोज पुष्पद के असामयिक निधन पर महाविद्यालय के सभी सदस्यों ने श्रद्धांजलि दी। 40 वर्षीय मनोज पुष्पद बिजावर जिला छतरपुर निवासी थे, वे कैंसर की बीमारी से पीडि़त थे।