सागर. वायरल फीवर के कारण बच्चों में कोक्सैकी वायरस का संक्रमण स्किन रैशेज के रूप में देखा जा रहा है। जिसमें 3 माह से लेकर 5 साल तक के बच्चों के हाथ, पांव और मुंह में फफोले या दाने पड़ रहे हैं। इसमें असहनीय दर्द होने से छोटे बच्चे मां का दूध भी नहीं पी पाते। जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में रोज संक्रमण के 4 से 5 मरीज सामने आ रहे हैं। हालांकि राहत की बात ये है कि छोटे दाने व फफोले 3 से 7 दिन में ठीक हो रहे हैं, लेकिन डॉक्टर्स अभिभावकों से साफ-सफाई और सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।
जिन बच्चों के शरीर पर दाने निकल रहे हैं, उनके अभिभावक समझ नहीं पा रहे कि बच्चे को चिकन पॉक्स (माता निकलना) हुआ है या वायरस का संक्रमण है।
कमजोर इम्यूनिटी से बच्चे आ जाते हैं चपेट में
डॉक्टर्स की मानें तो छोटे बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है और वो आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। चकत्तों में धब्बे, उभार, दाने या फफोले हो सकते हैं। ये रोग बलगम और लार से फैलते हैं। फफोले से निकला पानी संक्रमण फैला सकता है। डॉक्टर्स की मानें यदि बुखार, ग्रंथियों में सूजन, खांसी या जुकाम हो तो तत्काल डॉक्टर्स को दिखाएं।ड्राप्लेट के जरिए फैलता है वायरस इसलिए बरतें सावधानी
बच्चों को टीका लगवाएं, बच्चों को हाथ में लेने से पहले साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए। कोक्सेकी वायरस ड्राप्लेट के जरिए फैलता है ऐसे में बच्चों के पास खांसें या छींकें नहीं। वायरल रैशेज जिसमें छोटे दाने, फफोले बिना किसी उपचार के अपने आप भी ठीक हो रहे हैं। इसके लिए दर्द निवारक जैसे की एसिटामिनोफेन दी जा सकती है, बच्चे को तरल पदार्थ या मां का दूध दें, शिशु को अधिक आराम करवाएं, डॉक्टर की सलाह अनुसार ही मलहम, क्रीम लगाएं, बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाएं, शिशु की त्वचा को रगडऩे से बचें और बच्चे को ढीले कपड़े पहनाकर रखें। बच्चों की स्किन में दाने आएं तो हल्के में न लें, बड़े-बड़े दाने चिकन पॉक्स, डेंगू के भी हो सकते हैं। हालांकि वायरल फीवर से होने वो रैशेज 3 से 7 दिन में ठीक हो रहे हैं, छालों के दर्द की वजह से बच्चों को बुखार और जलन की शिकायत रहती है। वायरस से बचने फ्लू वैक्सीन लगाना चाहिए।
डॉ. बृजेश यादव, शिशु रोग विशेषज्ञ।
डॉ. बृजेश यादव, शिशु रोग विशेषज्ञ।