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सागर

150 साल के बाद चांदी कारोबार की क्लस्टर के रूप में बदलेगी तस्वीर, हर माह 600 करोड़ से ज्यादा का हो जाएगा कारोबार

शहर के 150 वर्षों से अधिक पुराने चांदी कारोबार की अब चांदी क्लस्टर के रूप में तस्वीर बदलेगी। शहर में बनाए जा रहे चांदी के आभूषणों की मांग देश-विदेश में बढ़ जाएगी। सागर के पारंपरिक आभूषणों की मांग 10 से ज्यादा प्रदेशों में है।

सागरSep 29, 2024 / 12:17 pm

रेशु जैन

chandi jewellery

10 ज्यादा प्रदेशों में सागर के पारंपरिक आभूषणों की मांग, चांदी क्लस्टर से 5 हजार से ज्यादा कारीगर होंगे एक छत के नीचे
सागर. शहर के 150 वर्षों से अधिक पुराने चांदी कारोबार की अब चांदी क्लस्टर के रूप में तस्वीर बदलेगी। शहर में बनाए जा रहे चांदी के आभूषणों की मांग देश-विदेश में बढ़ जाएगी। सागर के पारंपरिक आभूषणों की मांग 10 से ज्यादा प्रदेशों में है। यहां सराफा बाजार में देशभर के व्यापारी आभूषण खरीदने के लिए आते हैं। चांदी क्लस्टर वे एक छत के नीचे अपने पसंदीदा डिजाइन के आभूषण खरीद सकेंगे। इसके साथ व्यापार भी दोगुना हो जाएगा। हर माह 600 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होगा। शुक्रवार को पीटीसी ग्राउंड में आयोजित हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने चांदी क्लस्टर का भी आश्वासन दिया है। चांदी क्लस्टर की मांग विधायक शैलेंद्र जैन ने की थी। शहर में चांदी क्लस्टर की मांग वर्षो से की जा रही थी।
एक जगह बनाए जाएंगे आभूषण

सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम सोनी ने बताया कि अभी असंगठित क्षेत्र में काम हो रहा है। चांदी के कारखाने अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहे हैं। 5 हजार से ज्यादा कारीगर आभूषण बनाने का काम कर रहे हैं। क्लस्टर से पूरे कारीगर एक जगह आकर काम कर पाएंगे। सोनी ने बताया कि सराफा एसोसिएशन शहर के आसपास के क्षेत्र में ही जगह के लिए मांग करेगा। उन्होंने बताया कि अभी लगभग 300 करोड़ का व्यापार हर माह होता है। चांदी क्लस्टर से व्यापार में भी इजाफा होगा। यह 600 करोड़ से ज्यादा पहुंच जाएगा।
150 वर्षों से बन रहे आभूषण

सराफा व्यापारी विनोद बड़ोनिया ने बताया कि चांदी के कारोबार में सागर प्रदेश की दूसरी बड़ी मंडी के रूप में पहचाना जाता है। यहां 150 साल से चांदी के आभूषणों बनाए जा रहे हैं। पायल, बाजूबंद, करधनी, बिछिया के साथ ही चांदी की प्रतिमाओं सहित अन्य आभूषण बनाए जाते हैं। इनकी मांग देश-विदेश में है। देशभर के व्यापारी सागर की चांदी मंडी में आभूषण खरीदने के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि पायल और बिछिया की पुरानी डिजाइन मिलती है। देसी आभूषण की वजह से ज्यादा मांग रहती है।
हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार

चांदी क्लस्टर से हजारों कारीगरों को रोजगार मिलेगा। वर्तमान में गांधी चौक, मोहननगर, रविशंकर, सूबेदार और चकराघाट में लगभग चांदी के करीब 200 कारखाने हैं। इनमें 5 हजार से अधिक कारीगर दिन-रात आभूषण बनाने का काम करते हैं। कारीगरों ने बताया कि जो हैंडमेड काम 150 साल पहले होता था, हम वही आज के दौर में कर रहे हैं। विदेशों में इसी काम को पसंद किया जा रहा है। गुणवत्ता भी 95 से 98 प्रतिशत तक होती है, जिसका हॉलमार्क भी लगाते हैं।क्लस्टर से बढ़ेगा रोजगार
फर्नीचर क्लस्टर की तरह चांदी क्लस्टर की मंजूरी के बाद चांदी की यूनिट लगाने के लिए व्यापारियों के लिए जमीन मिल जाएगी। यूनिट लगने से मार्केटिंग बढ़ेगी। इसके साथ रोजगार और कारोबार में भी इजाफा होगा। सभी कारीगर एक साथ संगठित होकर व्यापार कर सकेंगे। विभिन्न प्रदेशों से आने वाले व्यापारी भी एक छत के नीचे खरीदी कर सकेंगे।
शैलेंद्र जैन, विधायक

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