वनग्राम के लोगों को
वन विभाग ने वनग्राम यानी जिन्हें शासन द्वारा बसाया गया था उनके प्रत्येक व्यक्ति के दो बैंक खाते खुलवाए जाएंगे। जिसमें एक सिंगल बचत खाता होगा और एक बचत खाता कलेक्टर के साथ ज्वाइंट होगा। विस्थापन की तैयारी होते हुए व्यक्ति के खाते में एक लाख रुपए की राशि डाली जाएगी, जबकि तीन लाख रुपए की एक एेसी एफडी कराई जाएगी, जिससे हर माह आय हो और यह तीन साल के लिए होगी। शेष छह लाख रुपए कलेक्टर के साथ ज्वाइंट खाते में रहेंगे, जैसे ही व्यक्ति विस्थापन के बाद मकान या जमीन खरीदेगा वह पूरी राशि उसके सिंगल बचत खाते में डाल दी जाएगी।
राजस्व ग्राम के लिए
यहां विभाग ने दो विकल्प दिए हैं। जिसमें यदि प्रति यूनिट दस लाख रुपए का प्रस्ताव पंचायत द्वारा बनाकर दिया जाता है तो एक बार में ही पूरी राशि व्यक्ति के खाते में डाल दी जाएगी। यहां पर हर वयस्क एक यूनिट माना गया है, लेकिन यदि किसी 21 साल के युवक की शादी हो चुकी है तो उसे व उसकी पत्नी को एक यूनिट माना जाएगा। दूसरे विकल्प में यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन, मकान, अन्य एसिस्ट का मूल्यांकन कराता है तो फिर उसका निर्धारण कलेक्टर द्वारा किया जाएगा और कीमत का मूल्याकंन के अनुसार उसे राशि दी जाएगी।
जिला प्रशासन के पास 433 करोड़ रुपए
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक अभयारण्य में बसे 72 गांव में से 25 गांव को विस्थापन करने व्यय होने वाली राशि जिला कलेक्टर के खाते में पहुंच चुकी है। यह राशि किश्तों में आई है, बताया जा रहा है कि वर्तमान में कलेक्टर के खाते में करीब 433 करोड़ रुपए है। विस्थापन की प्रक्रिया में अब तक 12 गांव पूरी तरह विस्थापित हो चुके हैं, जबकि दो और गांव वालों के बैंक खातों में विस्थापन की राशि पहुंच चुकी है।
30 गांवों से आवेदन आए हैं
पहले यह विस्थापन में मिली मुआवजे की राशि निकालने में उलझने थीं, लोगों को खुद का पैसा निकालने के लिए वन विभाग की अनुमति लेनी होती थी। जिसे बदल दिया गया है यही कारण है कि अब लोग स्वयं विस्थापित होने के लिए आवेदन कर रहे हैं, एेसे करीब 30 गांवों से आवेदन आए हैं।
डॉ. अंकुर अवधिया, डीएफओ, नौरादेही