सहकारी समिति का नया प्रशासक अध्यक्षों या फिर उपाध्यक्षों को नियुक्त किया जा रहा है। सहकारिता आयुक्त ने आदेश में स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्रार के नियंत्रण एवं मार्गदर्शन के अधीन कार्य करने के लिए दायित्वाधीन किया गया है। ऐसा प्रशासक समिति के केवल सामान्य कामकाज का निर्वहन करेगा और कोई भी ऐसा निर्णय नहीं लेगा जिसका समिति के व्यवसाय और दायित्वों पर दूरगामी प्रभाव पड़े।
संस्था के लिए संपत्ति अर्जन।
संस्था की संपत्ति का विनियोजन।
संस्था की संपत्ति का सदस्यों के माध्यम से बंटवारा या आवंटन।
संस्था के कारोबार में वृद्धि अथवा कमी करने से जुड़ा निर्णय।
नए कर्मचारियों की नियुक्ति अथवा पदोन्नति।
कर्मचारियों के वेतन में किसी तरह की वृद्धि करना।
अध्यक्षों को प्रभार देने में यह शर्त भी रखी गई है कि जिन पर अनियमितता या फिर अन्य किसी तरह के गंभीर आरोप लगे होंगे उन्हें प्रभार नहीं दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस शर्त के बहाने कई अध्यक्षों की जगह उपाध्यक्ष या फिर संचालक मंडल के अन्य वरिष्ठ सदस्य को प्रभार देने की तैयारी की जा रही है। इसमें सत्ताधारी दल के नेताओं का प्रभाव भी देखा जा रहा है।
सहकारी समितियों के प्रशासक हटेंगे, अध्यक्षों को मिलेगा अधिकार
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिमियों के अध्यक्षों को एक बार फिर मौका मिलेगा। जिन समितियों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनके संचालक मंडल भंड कर सहकारिता के उप पंजीयक ने विभाग के अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त कर दिया था। जिसका रीवा सहित प्रदेश भर के सहकारी समितियों के अध्यक्षों ने विरोध किया था और कार्यकाल बढ़ाए जाने की मांग उठाई थी। चुनावी वर्ष होने की वजह से सरकार समितियों के अध्यक्षों और संचालक मंडल के अन्य सदस्यों को नाराज करने के मूड में नहीं है।
इस कारण आदेश जारी किया गया है कि जिन समितियों का कार्यकाल पूरा हो चुका है वहां पर पूर्व में रहे अध्यक्ष को प्रशासक का कार्यभार सौंपने कहा गया है। सहकारिता आयुक्त का आदेश मिलने के बाद स्थानीय स्तर पर व्यवस्था बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
बीते महीने ही 136 सहकारी समितियों का कार्यकाल समाप्त होने के चलते उनका संचालक मंडल भंग कर दिया गया था और सहकारिता के अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया गया था। इसमें पहले 119 और बाद में 17 पर कार्रवाई हुई थी। सहकारिता के निरीक्षकों और अन्य अधिकारियों को प्रशासक बनाया गया था। इन्हें पांच से लेकर 15 तक समितियों का प्रभार दिया गया था। जिसके चलते काम का बोझ भी बढ़ रहा था।
जिन समितियों में अध्यक्ष का पद किसी कारण से रिक्त है, वहां पर उपाध्यक्ष को समिति का प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। प्रथम उपाध्यक्ष का पद खाली होने की स्थिति में द्वितीय उपाध्यक्ष को मौका देने के लिए कहा गया है। जहां पर तीनों का पद किसी कारण से खाली है वहां पर अन्य वरिष्ठ सदस्य को मौका दिया जाएगा।
मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 के प्रावधानों के तहत कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति को ही समिति का प्रशासक बनाया जाए जो संचालक मंडल का सदस्य बनने की पात्रता रखता हो। सोसायटी अधिनियम के तहत उस पर पूर्व में ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हो जिसमें पद से हटाने जैसा दोष पाया गया हो। गबन, धोखाधड़ी, आर्थिक अनियमितता अथवा सोसायटी की राशि वसूली का मामला चल रहा हो।
सहकारी समितियों में अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किए जाने के बाद विरोध शुरू किया गया है। अब नया आदेश जारी करने के साथ ही आयुक्त सहकारिता ने कहा है कि 15 दिन के भीतर उपपंजीयक सारी व्यवस्थाएं दुरुस्थ कराएं।
शासन का आदेश मिलने के बाद सहकारिता के उपपंजीयक ने अधिकारियों के साथ बैठक कर समितियों के अध्यक्षों से जुड़ी जानकारी मांगी है। साथ ही कहा है कि जहां पर अध्यक्ष दागी हैं वहां उपाध्यक्ष के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाए।