कई बार आपने देखा होगा या सुना होगा कि घर के बड़े-बुजुर्ग घर की दहलीज पर बैठकर नाखून काटने या भोजन करने से मना करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होता है और वास्तु दोष उत्पन्न होने लगते हैं। जिससे घर के लोगों की सेहत और आर्थिक स्थिति पर गलत असर पड़ सकता है।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक यदि सभी दरवाजों पर चौखट या दहलीज नहीं बनवाना चाहते हैं तो रसोईघर और मुख्य द्वार पर चौखट होना जरूरी माना गया है। वहीं लकड़ी की चौखट के अलावा मार्बल पत्थर की चौखट भी बनवाई जा सकती है। मान्यता है कि घर के मुख्य दरवाजे पर दहलीज होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है।
अक्सर आपने देखा होगा कि आने-जाने वाले लोग घर की चौखट के बाहर जूते-चप्पल उतारते हैं, जो कि गलत है। माना जाता है कि इससे मां लक्ष्मी नाराज होती हैं क्योंकि घर की चौखट या दहलीज से ही मां लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है।
वास्तु के जानकारों के मुताबिक दहलीज पर पैर रखकर अंदर प्रवेश करना शुभ नहीं माना जाता। वहीं मान्यता है किसी भी तीज-त्यौहार पर हल्दी से दहलीज की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)