सुबह की पूजा
1. शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लें। संभव हो तो पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें।
2. आराध्य देव को सुंदर वस्त्र, आभूषण पहनाएं। आवाहन, आसन, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित कर पूजन करें।
खंडग्रास चंद्रग्रहण के बाद ऐसे करें पूजा
1. पूरे घर को पूजा स्थल समेत गंगा जल से शुद्ध करें, और जो भी खाद्य सामग्री खुली रह गईं हैं उन्हें फेंक दें।
2. रात में स्नान ध्यान कर पूजा करें
3. आधी रात को गाय के दूध से बनी खीर में घी और चीनी मिलाकर भगवान को भोग लगाएं। यदि आपने खीर पहले बनाई है तो चंद्र ग्रहण के समय उसमें तुलसी पत्ता जरूर डालकर रखें।
4. रात्रि में चंद्रमा के आकाश के मध्य में स्थित होने पर चंद्र देव की पूजा करें, अर्घ्य दें और खीर चढ़ाएं।
5. आधी रात को (चंद्र ग्रहण के बाद) खीर से भरा बर्तन चांदनी में (छलनी आदि से ढंककर ताकि दूसरा जीव जंतु न पड़े) रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करें और सबको प्रसाद के रूप में बांटें।
6. पूर्णिमा का व्रत करके कथा सुननी चाहिए। कथा से पहले एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली और चावल रखकर कलश की वंदना करें और दक्षिणा चढ़ाएं।
7. इस दिन भगवान शिव-पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है।
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शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म मानने वालों के लिए विशेष महत्व है। इसी दिन से कई स्नान और व्रत प्रारंभ हो जाते हैं। माताएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए देवी-देवताओं का पूजन करती हैं। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब आ जाता है। शरद ऋतु में पड़ी पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा की रात में चंद्र किरणों का शरीर पर पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है।
शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म मानने वालों के लिए विशेष महत्व है। इसी दिन से कई स्नान और व्रत प्रारंभ हो जाते हैं। माताएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए देवी-देवताओं का पूजन करती हैं। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब आ जाता है। शरद ऋतु में पड़ी पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा की रात में चंद्र किरणों का शरीर पर पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है।
क्या है चंद्रग्रहण का समय
पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण शनिवार रात 11.31 बजे आरंभ होगा और इसका समापन देर रात 3.56 बजे होगा। चंद्र ग्रहण सर्वाधिक रात 01.05 बजे 01. 44 बजे होगा और इसका मोक्ष रात्रि 02.24 बजे होगा। इसका सूतक काल 4.05 बजे से लग जाएगा। इस समय पूजा पाठ नहीं करते, हालांकि ध्यान और मंत्र जाप में कोई रोक नहीं है। इस बीच न चंद्रमा की पूजा होगी और न अर्घ्य दिया जा सकेगा। ऐसे में ज्योतिषियों का कहना है कि चंद्रग्रहण की समाप्ति के बाद यह पूजा और रस्म निभा सकते हैं। क्योंकि इस समय ही चंद्रमा का दर्शन हो सकेगा।
पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण शनिवार रात 11.31 बजे आरंभ होगा और इसका समापन देर रात 3.56 बजे होगा। चंद्र ग्रहण सर्वाधिक रात 01.05 बजे 01. 44 बजे होगा और इसका मोक्ष रात्रि 02.24 बजे होगा। इसका सूतक काल 4.05 बजे से लग जाएगा। इस समय पूजा पाठ नहीं करते, हालांकि ध्यान और मंत्र जाप में कोई रोक नहीं है। इस बीच न चंद्रमा की पूजा होगी और न अर्घ्य दिया जा सकेगा। ऐसे में ज्योतिषियों का कहना है कि चंद्रग्रहण की समाप्ति के बाद यह पूजा और रस्म निभा सकते हैं। क्योंकि इस समय ही चंद्रमा का दर्शन हो सकेगा।