मां कुष्मांडा पूजा विधि और मंत्र
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके वहां दीपक जलाएं। साथ ही मन में माता कूष्मांडा का ध्यान करें। फिर पूजा के दौरान देवी मैया को श्रद्धापूर्वक पुष्प, अक्षत, धूप, गंध चढ़ाएं। फिर देवी मां को मालपुए का भोग लगाएं। मान्यता है कि मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाने से वह शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इसके बाद आसन पर बैठकर मां कुष्मांडा के मंत्र ‘सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।’ का जाप करें। फिर दीपक जलाकर सहपरिवार मां की आरती करें। इसके बाद अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए देवी मैया से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
मां कुष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
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