धर्म

Krishna Janmashtami 2021: Krishna Ashtami Vrat vidhi, upwas Niyam: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत की विधि और उपवास के नियम

Shree krishna Janmashtami vrat niyam and fasting vidhi: जन्माष्टमी के व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के अन्न का ग्रहण न करें

Aug 30, 2021 / 07:57 am

दीपेश तिवारी

Krishna Ashtami Vrat Niyam

Krishna Ashtami Vrat Niyam: भगवान विष्णु के आंठवें अवतार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। ऐसे में हर साल हिंदू कैलेंडर के छठे माह यानि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

ऐसे में इस साल यानि 2021 में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त, रविवार की रात 11.25 मिनट से शुरू होकर सोमवार, 30 अगस्त को देर रात 1.59 मिनट तक रहेगी।

ध्यान रहे जन्माष्टमी Janmashtami के व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के अन्न का ग्रहण न करें। इसके साथ ही जन्माष्टमी Krishna Ashtami का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद एक निश्चित समय पर खोला जाता है इसे जन्माष्टमी Krishna jayanti के पारण का समय कहा जाता है।

यदि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में से कोई भी सूर्यास्त तक समाप्त नहीं होता तो जन्माष्टमी Janmashtami का व्रत दिन के समय नहीं तोड़ा जा सकता। पं.पांडे के अनुसार हिंदू कैलेंडर के छठे माह भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी gokulashtami की आधी रात में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

Must Read- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा की सरल विधि

इन बातों का रखें ध्यान
इस दिन स्वच्छता का खास ध्यान रखें, घर आए भिक्षुक को दान अवश्य दें। श्रीकृष्ण के भोग में तुलसी अवश्य रखें। तन व मन से ब्रह्मचर्य का पालन करें। बड़ों का सम्मान करें। किसी भी स्थिति में क्रोध न करें साथ ही किसी के भी प्रति मन में दुर्भावना न लाएं।

कृष्ण जन्माष्टमी के नियम
: इस व्रत में पूरे दिन पानी पिया जा सकता है, लेकिन सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म तक के समय में निर्जल रहना होता है।

Must Read- श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी ये घटनाएं हैं बेहद खास

Shri Krishna Janma stuti : जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण लला का जन्म होते ही पढ़ें यह जन्म स्तुति, हो जाएगी हर इच्छा पूरी

: इसके अलावा जन्माष्टमी Janmashtami के दिन सुबह जल्दी उठकर साफ पानी से स्नान कर दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण करने के साथ ही सात्विक रहना आवश्यक होता है। वहीं शाम की पूजा से पहले भी एक बार स्नान जरूर करना चाहिए।

: वहीं इस दिन कुश के आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें, और फिर हाथ जोड़कर सूर्य, सोम, यम, काल, संधि,भूमि, आकाश, पवन, दिक्‌पति,भूत, खेचर, अमर और ब्रह्मादि के नाम से जल,पुष्प, अक्षत, कुश और गंध को हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

कृष्ण जन्माष्टमी: मुहूर्त के नियम

पंडित पांडे के अनुसार जन्माष्टमी gokulashtami में केवल व्रत को लेकर ही नियम नहीं हैं, बल्कि इस दिन के मुहूर्त को लेकर भी कुछ खास नियम हैं, जो इस प्रकार हैं।

: यदि पहले ही दिन आधी रात को अष्टमी विद्यमान हो तो जन्माष्टमी व्रत पहले दिन किया जाता है। वहीं यदि केवल दूसरे ही दिन आधी रात को अष्टमी व्याप्त हो तो यह जन्माष्टमी का व्रत दूसरे दिन किया जाता है।

: वहीं यदि दोनों दिन आधी रात को अष्टमी gokulashtami व्याप्त हो, तो रोहिणी नक्षत्र का योग एक ही दिन जिस अर्धरात्रि में हो तो उसी रात जन्माष्टमी व्रत किया जाता है।

Must read- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कब क्या करें?

shri Krishna : how can you pleased Lord Krishna through Puja vidhi and Mantra
: इसमें भी यदि दोनों दिन अष्टमी Krishna jayanti आधी रात को विद्यमान हो और रोहिणी नक्षत्र भी दोनों ही अर्धरात्रि (आधी रात) में मौजूद रहे तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
: वहीं यदि दोनों दिन आधी रात को अष्टमी Krishna Ashtami व्याप्त हो और रोहिणी नक्षत्र का योग दोनों ही अर्धरात्रि में न हो तो भी जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन ही किया जाता है।
: इसके अतिरिक्त यदि दोनों दिन आधी रात को अष्टमी व्याप्त न हो तो हर स्थिति में जन्माष्टमी व्रत दूसरे ही दिन होगा।

जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि
: जन्माष्टमी Krishna Ashtami के संबंध में पंडित एसके पांडे का कहना है कि इस पर्व में अष्टमी का उपवास पूजन की और नवमी का पारणा व्रत की पूर्ति करता है।

: इस व्रत के संबंध व्रतधारी को अष्टमी से एक दिन पूर्व यानि सप्तमी को हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखना चाहिए।

: वहीं उपवास वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठना चाहिए।

Must Read- गोवर्धन पर्वत से जुड़ी वो बातें, जो आज भी बनी हैं आश्चर्य

https://www.patrika.com/dharma-karma/some-special-things-related-to-mount-govardhan-6193631/

: इसके बाद जल, फल और पुष्प हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद दोपहर में काले तिलों से युक्त जल से स्नान (छिड़ककर) कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं। अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौने पर शुभ कलश स्थापित करें।

: यहां भगवान श्रीकृष्ण जी को स्तनपान कराती माता देवकी जी की मूर्ति या सुन्दर चित्र की स्थापना करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी का नाम लेते हुए विधि के अनुसार पूजन करें।

: ध्यान रहे कि जन्माष्टमी व्रत gokulashtami रात्रि में पूजा के बाद यानि बारह बजे के बाद ही फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे के हलवे से खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का उपयोग वर्जित है।

संबंधित विषय:

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion News / Krishna Janmashtami 2021: Krishna Ashtami Vrat vidhi, upwas Niyam: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत की विधि और उपवास के नियम

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.