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बीकानेर हजरत इमाम हुसैन (रजि.) की याद में निकले ताजिये बुधवार शाम को नगर की विभिन्न कर्बलाओं में मातमी माहौल में ठंडे किए गए

बुधवार की शाम ताजियों के उठने पर दिल गमगीन हो गया। हजारों लोगों ने नम आंखों से ताजियों को विदाई दी

बीकानेरJul 18, 2024 / 01:05 pm

नौशाद अली

procession of crowns
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ताजिये पर स्वर्ण नक्काशी …
बीकानेर की उस्ता कला विश्व प्रसिद्ध है। सुनहरी कलम से की गई बारीक नक्काशी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। मोहर्रम के अवसर पर हर साल उस्ता मोहल्लों में स्वर्ण नक्काशी से तैयार ताजिये को जियारत के लिए निकाला जाता है। ताजिये पर उस्ता कला की कलात्मकता, बारीक नक्काशी, अरबी भाषा में अंकित शब्द चित्रण हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते है। उस्ता कलाकार मोहम्मद हनीफ उस्ता के अनुसार इस ताजिये को कर्बला में ठण्डा नहीं किया जाता है। इसे खोलकर उस्ता पंचायत के इमामबाड़ा में रखा जाता है। हर साल इस ताजिये पर स्वर्ण नक्काशी के कार्य को बढ़ाया जा रहा है। मोहर्रम के अवसर पर ताजिये पर स्वर्ण नक्काशी करते उस्ता कलाकार। फोटो नौशाद अली।
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बीकानेर में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की याद में शहर में   सरसों के ताजे को पानी से सिंचाई करता कलाकार फोटो नौशाद अली
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कहते है जूनून इंसान को किसी भी हद तक ले जाता है। जिसके चलते वह समाज से कुछ हटकर करने को आतरू हो जाता है। बीकानेर के चौखूंटी क्षेत्र स्थित कर्बला के पास रहने वाले मो जफर कादरी ने कांच की बोतलों में ताजिए बनाकर न केवल अपनी कला का प्रदर्शन किया है। । करीब डेढ माह की अथक मेहनत से 20 से ज्यादा छोटे ताजियों का निर्माण किया है। बीकानेर शहर में मोहर्रम पर कई ताजिये बनाए गए। लेकिन कुछ छोटे आकार के बोतल में बंद ताजिये सभी के आकर्षण का केंद्र नजर आए। फोटो नौशाद अली
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कहते है जूनून इंसान को किसी भी हद तक ले जाता है। जिसके चलते वह समाज से कुछ हटकर करने को आतरू हो जाता है। बीकानेर के चौखूंटी क्षेत्र स्थित कर्बला के पास रहने वाले मो जफर कादरी ने कांच की बोतलों में ताजिए बनाकर न केवल अपनी कला का प्रदर्शन किया है। बल्कि अपने जूनून का भी लोहा मनवाया है। करीब डेढ माह की अथक मेहनत से 20 से ज्यादा छोटे ताजियों का निर्माण किया है। बीकानेर शहर में मोहर्रम पर कई ताजिये बनाए गए। लेकिन कुछ छोटे आकार के बोतल में बंद ताजिये सभी के आकर्षण का केंद्र नजर आए। फोटो नौशाद अली
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भाईचारे की मिसाल बीकाणा।
बीकानेर की गंगाजमुनी तहजीब के चलते हिन्दू मुस्लिम सभी त्योहार एक साथ मिलकर मनाने है। ऐसा ही नजारा दिखा आज मोहल्ला चूनगरान में हिन्दू बाप अपनी बेटी को ताजिया हाथ मे लेकर दिखा रहा। फ़ोटो - नौशाद अली
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ताजिया… जो जहां बना वहीं हुआ ठंडा
बीकानेर के डीडू सिपाहियान मोहल्ले में ताजिया चौकी पर मिट्टी से ताजिया बनाया जाता है। इस ताजियों को जहां बनाया जाता है, उसी स्थान पर ही ठंडा किया जाता है। बुधवार शाम को इस ताजियों को परंपरागत रूप से ठंडा करते हुए।  इस दौरान अखाड़े का आयोजन हुआ, जिसमें युवाओं ने साहसिक करतब दिखाए। फोटो नौशाद अली।
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बीकानेर के डीडू सिपाहियान मोहल्ले में ताजिया चौकी पर मिट्टी से ताजिया बनाया जाता है। इस ताजियों को जहां बनाया जाता है, उसी स्थान पर ही ठंडा किया जाता है। बुधवार शाम को इस ताजियों को परंपरागत रूप से ठंडा करते हुए।  इस दौरान अखाड़े का आयोजन हुआ, जिसमें युवाओं ने साहसिक करतब दिखाए। फोटो नौशाद अली।
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ताजियों का जुलूस …
हजरत इमाम हुसैन की याद में मंगलवार शाम को निकले ताजियों की जियारत का दौर बुधवार को भी दिनभर चला। शाम को ताजियों को नगर की विभिन्न कर्बलाओं में गमगीन माहौल में ठंडे किए गए। इससे पहले ताजियों को जुलूस के  रूप में कर्बलाओं की ओर ले जाया गया। ताजियों के जुलूस के आगे अखाड़ों का आयोजन हुआ। अखाड़ो में युवाओं ने  हैरत अंगेज व सासहसिक करतब दिखाए। दाऊजी मंदिर रोड़  व कसाई बारी क्षेत्र से निकलते हुए ताजिये। फोटो नौशाद अली।

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