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धर्म और अध्यात्म

ये है सावन का रामबाण उपाय, इन 18 वस्तुओं से शिव का अभिषेक दूर करेगा हर तरह का दुख

कुछ दिनों में ही भगवान शिव की विशेष पूजा का महीना सावन शुरू होने वाला है। इन दिनों भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए विशेष अनुष्ठान होंगे, घरों और शिव मंदिरों में गंगाजल से रुद्राभिषेक होंगे। लेकिन किन-किन वस्तुओं से रुद्राभिषेक किया जाता है और इसके क्या लाभ होते हैं आप शायद ही जानते होंगे। यहां वाराणसी के पुजारी पं. शिवम से जानिए अलग-अलग वस्तुओं से रुद्राभिषेक का महत्व…

Jul 03, 2023 / 04:52 pm

Pravin Pandey

सावन में रुद्राभिषेक का महत्व

रुद्राभिषेक का महत्व
वाराणसी के तीर्थ पुरोहित पं. शिवम का कहना है कि रुद्र अभिषेक से तात्पर्य है भूत भावन शिव का अभिषेक। पं. शिवम के अनुसार शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव ही रुद्र हैं क्योंकि रुतम् दु:खम्, द्रावयति नाशयतिइतिरुद्र: यानी भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उसेके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

पं. शिवम का कहना है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: पूरी हो जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्र:, सर्वे देवा: शिवात्मका: यानी सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं। हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री का वर्णन है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से और अलग-अलग मनोकामना के लिए करते हैं।
अलग-अलग मनोकामना के लिए अलग वस्तु से रुद्राभिषेक विधान
पं. शिवम के अनुसार धार्मिक ग्रंथों में किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए उसके अनुसार पूजन सामग्री और अलग विधि से रुद्राभिषेक का विधान है। पं. शिवम के अनुसार रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-

• जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों, बाधा दोष और ऐसी बीमारी जो पकड़ में नहीं आ रही है, उससे राहत के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है, बाधा शांति भी होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य और विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
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• ज्वर से राहत के लिए शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है और उसका मारण होता है।
• मान्यता है कि शहद द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर होती है। लक्ष्मी प्रप्ति होती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।

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