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धर्म और अध्यात्म

दूर हो जाएगी प्यार की कमी, कामदेव की इस तिथि पर करें छोटा सा ये उपाय

खास बात यह है कि प्रेम के देवता कामदेव की तिथि भी मानी जाती है। इस दिन शिव पार्वती की शाम को निष्ठापूर्वक पूजा करें, आपके जीवन में प्यार की कमी पूरी हो जाएगी।

Jan 22, 2024 / 03:15 pm

deepak deewan

प्रेम के देवता कामदेव की तिथि

23 जनवरी 2024 का दिन शिव भक्तों के लिए अहम है। इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत में दिनभर उपवास रखकर शाम को शिव परिवार यानि शिवजी, माता पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेयजी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखकर विधिविधान से शिव परिवार की पूजा करने पर भगवान शिव की कृपा जरूर प्राप्त होती है। खास बात यह है कि त्रयोदशी तिथि प्रेम के देवता कामदेव की तिथि भी मानी जाती है। इस दिन शिव पार्वती की शाम को निष्ठापूर्वक पूजा करें, आपके जीवन में प्यार की कमी पूरी हो जाएगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि प्रदोष व्रत करनेवालों को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है। इस दिन प्रदोष काल यानि शाम के समय शिव पूजन करना चाहिए, प्रदोष व्रत में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर सफेद फूलों की माला अर्पित करना चाहिए। इस दिन शिव अभिषेक करें और संभव हो तो धतूरा और भांग चढ़ाएं। शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी करें। प्रदोष व्रत रखनेवालों को सभी सुख प्राप्त होते हैं। उनके सभी दुख या कष्ट खत्म हो जाते हैं।
इस दिन सुबह उठकर सूर्य को जल अर्पित करें और शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत व पूजा का संकल्प लें। शाम को धूप दीप आदि से भगवान शिव की आरती करें। शिवजी का ध्यान करते सरल शिव मंत्र. ॐ नमः शिवाय का अधिक से अधिक जाप करें। भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। पूजा संपन्न होने पर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
इस दिन कलश में जल भरकर आम के पत्तों के साथ स्थापित कर भगवान् शिव के रूप में इसकी पूजा की जाती है। जिस कलश में जल भरकर रखते हैं उसे दूर्वा से ढँक कर कमल बनाया जाता है। इसके पश्चात् पूजा विधि में उपयोग हुए जल को पवित्र राख के साथ प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इस राख को माथे पर लगाया जाता है।
मंगलवार के दिन होने से इसे भौम प्रदोष भी कहा जाता है। भौम प्रदोष का सीधा संबंध नवग्रहों के सेनापति मंगल से होता है। भौम प्रदोष व्रत रखने से मंगल ग्रह संबंधी सभी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही शिवपूजा के कारण चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं और अच्‍छा फल देने लगते हैं। कुंडली में मंगल और चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो, वे नीच के हों तो भौम प्रदोष व्रत रखकर शिव व मंगल देव की पूजा जरूर करना चाहिए।
त्रयोदशी तिथि को तेरस भी कहा जाता है जिसके शिव के साथ कामदेव भी कारक माने जाते हैं। जीवन में प्यार की कमी हो, शादी न हो रही हो तो इस दिन शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित कर ओम नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें। शिवजी से जिंदगी में प्रेम के लिए प्रार्थना करें। उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में प्यार ही प्यार भर जाएगा।
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