Ravi Pradosh Vrat Upay: अरसे बाद पड़ रहे रवि प्रदोष के दिन कुछ खास उपाय भक्तों की किस्मत चमका सकते हैं। इसलिए चैत्र महीने के पहले प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने वालों को इन उपायों का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही कुछ कार्यों से परहेज करना चाहिए जैसे रवि प्रदोष के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
1. रवि प्रदोष के दिन घर का मीठा भोजन नेत्रहीनों को खिलाना चाहिए।
2. घर की पूर्व दिशा को साफ कर यहां दीपक जलाएं, 27 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
3. कुश आसन पर बैठकर आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें, माता-पिता का चरण स्पर्श करें।
4. जो व्यक्ति कर्ज से परेशान है, उसे रवि प्रदोष के दिन शिवालय जाकर ऊँ नमो धनदाय स्वाहा और ऊँ नमः शिवाय मंत्र का 11 माला जाप करना चाहिए।
5. यदि दंपती में सामंजस्य नहीं बन पा रहा है तो रवि प्रदोष के दिन शिवलिंग पर एक मुट्ठी मिश्री और गंगाजल अर्पित करें।
ये भी पढ़ेंः Rudraksh Remedies: क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करता है रुद्राक्ष, जानें कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान रवि प्रदोष व्रत का महत्वः हर प्रदोष व्रत का अलग महत्व है, उसी तरह रवि प्रदोष व्रत से उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु मिलती है। इस दिन शिव शक्ति की पूजा से दांपत्य सुख मिलता है। यह मनोकामना पूरी करता है, परिवार निरोगी बनता है और यह प्रदोष व्रत दोषों को दूर करता है। इस दिन भगवान सूर्य को भी अर्घ्य देना चाहिए।
रवि प्रदोष पूजा विधिः प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि रवि प्रदोष के दिन ऐसे पूजा करनी चाहिए।
1. सूर्योदय से पहले उठें और पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें।
2. तांबे के लोटे में जल, कुमकुम, शक्कर, लाल फूल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य दिए जल की बची बूंदों को माथे पर लगाएं।
3. ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और निराहार व्रत रखें।
1. सूर्योदय से पहले उठें और पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें।
2. तांबे के लोटे में जल, कुमकुम, शक्कर, लाल फूल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य दिए जल की बची बूंदों को माथे पर लगाएं।
3. ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और निराहार व्रत रखें।
4. प्रदोषकाल में भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं।
5. खीर और फल भगवान को अर्पित करें।
6. पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करें।