मोहिनी एकादशी के दिन बन रहे शुभ योगः मोहिनी एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है। यह बेहद शुभ योग माना जाता है, इसका समय 5.47 एएम से 5.51 पीएम तक है। इस योग में किए जाने वाले कार्यों में सफलता मिलती है। इसके अलावा इस दिन इस तरह कुछ और शुभ योग बन रहे हैं।
अभिजित मुहूर्तः 11.52 एएम से 12.44 पीएम तक
अमृतकालः 10.50 एएम से 12.35 पीएम तक
मोहिनी एकादशी का महत्व (mohini ekadashi katha): मोहिनी एकादशी को लेकर दो कथाएं आमतौर पर प्रचलित हैं। एक के अनुसार सागर मंथन के बाद जब अमृत निकला तो उसे पीकर अमर होने के लिए देवताओं और दानवों में तनातनी हो गई। युद्ध जैसी नौबत देखकर वैशाख शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और अपने मोहजाल में फंसाकर देवताओं को अमृत और दानवों को मदिरा बांटा, क्योंकि असुर प्रवृत्तियों के अमर होने से सृष्टि को खतरा था।
वहीं एक अन्य कथा के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम पत्नी वियोग में दुखी हो गए तो महर्षि वशिष्ठ ने मोहिनी एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। इस पर भगवान श्रीराम के दुखों का नाश हुआ, और माता सीता की खोज बेहतर ढंग से कर पाए। इससे यह एकादशी अनजाने में हुए पापों का प्रायश्चित करने वाली भी मानी जाने लगी। शिव को भस्मासुर से बचाने की लीला भी मोहिनी अवतार से ही संबंधित है।
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मोहिनी एकादशी का महत्वः यह व्रत मोहमाया के बंधन से मुक्त करने वाली मानी जातीहै। इस व्रत की कथा सुनने और पढ़ने से एक हजार गौदान के बराबर फल मिलता है और व्रत करने वाले का मोह खत्म हो जाता है। उसके सुखद भविष्य का निर्माण भी होता है। इसके प्रभाव से मृत्यु के बाद नर्क की यातनाओं से छुटकारा मिलता है।
मोहिनी एकादशी का महत्वः यह व्रत मोहमाया के बंधन से मुक्त करने वाली मानी जातीहै। इस व्रत की कथा सुनने और पढ़ने से एक हजार गौदान के बराबर फल मिलता है और व्रत करने वाले का मोह खत्म हो जाता है। उसके सुखद भविष्य का निर्माण भी होता है। इसके प्रभाव से मृत्यु के बाद नर्क की यातनाओं से छुटकारा मिलता है।
मोहिनी एकादशी पूजा विधि (mohini ekadashi katha)
1. मोहिनी एकादशी के दिन दूसरे एकादशी की तरह ही सुबह जल्दी उठें, स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. मंदिर में या घर में ही भगवान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर विधि विधान से पूजा करें।
3. भगवान विष्णु को रोली, मौली, पीला अक्षत, चंदन, ऋतु फल, पीला पुष्प, मिष्ठान अर्पित करें।
1. मोहिनी एकादशी के दिन दूसरे एकादशी की तरह ही सुबह जल्दी उठें, स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. मंदिर में या घर में ही भगवान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर विधि विधान से पूजा करें।
3. भगवान विष्णु को रोली, मौली, पीला अक्षत, चंदन, ऋतु फल, पीला पुष्प, मिष्ठान अर्पित करें।
4. धूप, दीप से भगवान विष्णु की आरती करें और दीपदान करें।
5. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
6. कपट, दुर्गुणों से खुद को दूर रखते हुए नारायण का ध्यान करें।
7. आम, खरबूजा, ककड़ी जैसी शीतल चीजें दान करें।