दरअसल आज दोपहर 01.13 बजे देवसेनापति मंगल कन्या राशि से निकलकर शुक्र की राशि तुला में आ गए हैं। और अब वे यहां 44 दिनों तक रहेंगे, फिर रविवार 5 दिसंबर 2021 को सुबह 05 बजकर 01 मिनट पर ये अपने ही स्वामित्व की राशि वृश्चिक में गोचर कर जाएंगे।
ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि मंगल का ये परिवर्तन न केवल आम व्यक्ति के लिए बल्कि देश व दुनिया के लिए भी खास रहता दिख रहा है। दरअसल यदि हम देश की कुंडली की बात करें तो आजाद भारत की कुंडली के अनुसार तुला राशि कुंडली में रोग व शत्रु का भाव है, ऐसे में देव सेनापति का यहां आना शत्रु के लिए मारक सिद्ध हो सकता है।
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वहीं ज्योतिष के जानकार एसके पांडे के अनुसार इस समय देश की कुंडली के भाग्य स्थान जो कि शनि का है शनि वहीं गुरु के साथ विराजमान है। और वर्तमान में दोनों ही मार्गी हो चुके हैं। ऐसे में ये स्थिति भी देश को काफी अच्छा फल प्रदान कर सकती है।
वहीं देश की कुंडली के अनुसार तुला में आए मंगल शत्रु व रोग के भाव से 7वें भाव में मंगल अपनी ही राशि मेेष को ही देख रहे हैं। जबकि इनकी पूर्ण दृष्टि देश की कुंडली के हिसाब से मीन पर है।
ऐसे मंगल अपना पराक्रम दिखाते दिख रहे हैं। जिसके चलते ज्योतिष के जानकारों के अनुसार अब भारत की छवि में बदलाव आने के योग बन सकते हैं।
जिसके बाद देश दुनिया में भारत की छवि व शक्ति के बारे में सोच को लेकर देशों में बदलाव आ सकता है। इस समय देश की सेना के शौर्य में इजाफा होगा, जिसके चलते कई देशों को भारत को लेकर अपने विचारों मे बदलाव करना पड़ सकता है।
वहीं ये भी माना जा रहा है कि मंगल भूमि का कारक होने के कारण इस समय देश कुछ जगहों से अपनी भूमि को वापस लेने की प्रक्रिया में तेजी लाते हुए अपने शौर्य का प्रदर्शन कर सकता है।
वहीं ज्योतिष के कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि इस दौरान देश की छवि में ऐसा बदलाव भी आ सकता है जिसे देख आप ही नहीं पूरी दुनिया चौंक सकती है। और ये बदलाव मुख्य रूप से शत्रु स्थान को प्रभावित करेगा।
इसके अलावा जहां तक देश दुनिया की स्थितियों पर बात करें तो इस समय देश में औद्योगिक वस्तुओं के स्टॉक में बढ़ौतरी की संभावना है।
– इसके अलावा इस समय देश में हथियारों और आयुध पर निवेश होने की भी प्रबल उम्मीद है।
– चूकिं इस समय मंगल रोग भाव में है अत: ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार दिख सकता है।
– इस समय आंदोलन जैसी स्थिति के उत्पन्न होने या विपक्ष में आपसी कलह व उसके द्वारा दोषारोपण करने की स्थिति भी बन सकती है।
– वहीं इस दौरान यात्रा और पर्यटन मामले में भी नीतियों में लचीलापन लाया जा सकता है।
– इस दौरान कुछ देशों से रिश्तों में खटास के बीच भारत को कुछ गणनात्मक चालों से अपना पराक्रम और साहस दिखाने का अवसर मिल सकता है।