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धर्म और अध्यात्म

Hariyali Teej 2023: हरियाली तीज पर बन रहे तीन शुभ संयोग, पहली बार व्रत करने वाले जान लें क्या है पूजन सामग्री

हिंदू धर्म मानने वाले उत्सव धर्मी हैं, आए दिन कोई न कोई त्योहार मनाते हैं और सब किसी न किसी व्रत पूजा से जुड़े होते हैं, जो परिवार की खुशहाली के लिए रखे जाते हैं। ऐसी ही एक त्योहार है हरियाली तीज, इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। आइये जानते हैं कब है हरियाली तीज और कैसे रखा जाता है हरियाली तीज व्रत। श्रावणी तीज की पूजन सामग्री क्या है?

Aug 16, 2023 / 02:54 pm

Pravin Pandey

हरियाली तीज

कब है हरियाली तीज
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शंकर और पार्वती की पूजा कर व्रत रखती हैं। यह व्रत दो दिन बाद शनिवार 19 अगस्त 2023 को रखा जाएगा। महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पूजा करती हैं, हरे रंग की साड़ी, हरी चूडिय़ां, लहरिया आदि पहनती हैं। इस साल हरियाली तीज की पूजा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होगी। इससे यह तिथि और भी खास हो गई है। पुरोहितों के अनुसार 19 अगस्त को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सुबह से देर रात 1:47 बजे तक रहेगा।
कब शुरू हो रही सावन की तीज तिथि
पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि की शुरुआत 18 अगस्त शुक्रवार रात 8:01 बजे से हो रही है और यह तिथि 19 अगस्त शनिवार रात 10:19 बजे संपन्न होगी। इसलिए उदयातिथि में हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी।

हरियाली तीज पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार हरियाली तीज के दिन 19 अगस्त को सुबह 07:30 बजे से 09:08 बजे तक और दोपहर 12:25 बजे से शाम 05:19 बजे के बीच पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त है। प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार इस समय पूजा करना सभी मनोरथ को सफल करने वाला होगा।
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हरियाली तीज पर बन रहे शुभ योग
खास बात यह है कि इस साल हरियाली तीज पर 3 विशेष योग भी बन रहे हैं। ये योग हैं, सिद्ध योग, बुधादित्य योग और त्रिग्रही योग। पंचांग के अनुसार हरियाली तीज के दिन कन्या राशि में चंद्रमा, मंगल और शुक्र की युति से बन रहा त्रिग्रही योग व्रतियों को धन और करियर में भी लाभ पहुंचाएगा। वहीं सिंह राशि में सूर्य और बुध की युति से बनने वाला बुधादित्य योग लोगों को सुख समृद्धि, सम्मान दिलाएगा। इसके अलावा सिद्ध योग से व्रती की पूजा, मंत्र आदि सिद्ध होंगे।

हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज व्रत सौंदर्य और प्रेम का त्योहार है, जो नाग पंचमी यानी सावन शुक्ल पंचमी से दो दिन पहले मनाया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा वरदान भगवान शंकर ने माता पार्वती को दिया था। इस दिन माता पार्वती, गणेशजी और भगवान शंकर की पूजा कर व्रत रखने से व्रती की मनोकामना पूरी होती है। सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है, दांपत्य जीवन मधुर बनता है। यह उत्सव महिलाओं के लिए खास होता है, क्योंकि यह पर्व शिव और शिवा के पुनर्मिलन का भी प्रतीक है। इस दिन पूजा कर महिलाएं प्रार्थना करती हैं कि जैसे शिव पार्वती अखंड हैं, वैसे ही उनके पति से उनका रिश्ता अटूट और प्रेमपूर्ण रहे।

धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर की तपस्या में कई जन्म बिताने के बाद इसी तिथि को महादेव ने माता पार्वती को स्वीकार किया था। यह व्रत महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने में भी मददगार है। यह व्रत लोगों को विकारों से भी मुक्त करता है। इन दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, हाथ में मेहंदी लगाती हैं, गांवों में झूले डाले जाते हैं। महिलाएं सखियों के साथ झूले झूलती हैं और सावन के गीत गाती हैं।
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हरियाली तीज पूजा सामग्री
आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार ऐसी विवाहिताएं जो पहली बार हरियाली तीज व्रत रख रहीं हैं, वो आमतौर पर परंपरा के अनुसार मायके में व्रत रखती हैं और जो ससुराल में व्रत रखती हैं, उनके लिए मायके से पूजन सामग्री जाती है। हरियाली तीज की पूजा के लिए मां पार्वती, भगवान शिव और गणेशजी की मूर्ति बनाने के लिए स्वच्छ बालू और इन्हें रखने के लिए एक लकड़ी की चौकी की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा चौकी पर बिछाने के लिए पीला कपड़ा, केले का पत्ता और कच्चा सूत की भी जरूरत पड़ती है।

इसके अलावा शंकर जी की पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, भांग, धतूरा और माता की पूजा के लिए नारियल, एक कलश, पांच सुपारी, साफ चावल, गणेशजी की पूजा के लिए दूर्वा आदि की जरूरत पड़ती है। इसी के साथ पूजा के लिए गाय के दूध, देशी घी, श्रीफल, चंदन, दही, मिश्री, शहद और पंचामृत आदि का पहले ही इंतजाम कर लेना चाहिए। वहीं माता पार्वती को अर्पित करने के लिए सोलह श्रृंगार की सामग्री महावर, कुमकुम, मेहंदी, इत्र, चुनरी, सिंदूर, बिंदी, आदि जुटा लेना चाहिए।
हरियाली तीज पूजा विधि
1. हरियाली तीज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें।
2. शुद्ध बालू, गंगाजल और मिट्टी से बनाई भगवान शंकर, माता पार्वती, रिद्धि-सिद्धि, गणेश आदि की प्रतिमा बनाकर चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
3. इसके बाद गणेशजी, माता पार्वती और शंकरजी का आवाहन करें और गणेशजी की पूजा कर माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और क्रमशः सभी की पूजा करें। उन्हें उचित भोग लगाएं।

4. उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये मंत्र का जाप करें।
5. हरियाली तीज की कथा सुनें और आरती करें। बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
6. पूजा के बाद महिलाएं रातभर भजन-कीर्तन करें।
7. चतुर्थी के दिन नियमानुसार व्रत का पारण करें।

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