धर्म और अध्यात्म

गणेश जी की आरती, रोज पढ़ने से जीवन की हर बाधा होती है दूर

Ganesh ji ki aarti: किसी भी देवता की पूजा में आरती गाने का विधान है, ये एक तरह के भक्ति गीत हैं जिसे समय समय पर अनेक भक्तों ने लिखा है, इसमें आराध्य के गुणों का बखान कर उनका ध्यान किया गया है यहां पढ़ते हैं विघ्नहर्ता गणेश जी की आरती, जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा आरती

जयपुरSep 10, 2024 / 07:55 pm

Pravin Pandey

गणेश जी की आरती जय गणेश जय गणेश देवा

गणेश जी प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता हैं, किसी पूजा की शुरुआत इनकी पूजा के बिना नहीं हो सकती और न ही कोई पूजा इनकी प्रसन्न किये बिना निर्विघ्न संपन्न हो सकती है. ऐसे मंगल मूर्ति को पूजा के बाद आरती गाकर प्रसन्न किया जा सकता है. आइये पढ़ें गणेश जी की आरती..

गणेश जी की आरती (Ganesh Aarti)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवादेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय

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