धर्म और अध्यात्म

Dowry in Muslims क्या आप जानते हैं दहेज प्रथा को लेकर क्या कहता है ‘कुरान’

Dowry in Muslims or Islam एक्सपर्ट बताते हैं कि इस्लाम में साफ कहा गया है कि यदि शादी के लिए लड़का लड़की के घर वालों से किसी भी तरह की मांग करता है तो वह गलत है। यदि कोई दहेज मांगता है, उसे लड़की वालों की मर्जी के बगैर लेता है या उन्हें मजबूर करता है तो ऐसा करने से घर से बरकत और खैर चली जाती है।

Feb 20, 2023 / 05:47 pm

Sanjana Kumar

Dowry in Muslims or Islam दहेज प्रथा एक ऐसी कुप्रथा जिसके कारण आज 21 वीं सदी में भी बेटियों की शादी नहीं हो पाती, बेटियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। तो कहीं शादी हुई भी तो बेटी का परिवार कर्ज में डूब जाता है। जीवन भर कर्ज चुकाता रहता है। दहेज की यह कुप्रथा एक सामाजिक बुराई है। इसका विरोध हर धर्म में किया जाने लगा है। वहीं हम इस्लाम की बात करें तो मुस्लिम धर्म में भी दहेज को सरासर गलत कहा गया है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस्लाम में साफ कहा गया है कि यदि शादी के लिए लड़का लड़की के घर वालों से किसी भी तरह की मांग करता है तो वह गलत है। यदि कोई दहेज मांगता है, उसे लड़की वालों की मर्जी के बगैर लेता है या उन्हें मजबूर करता है तो ऐसा करने से घर से बरकत और खैर चली जाती है।

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दहेज के नाम पर जायज हैं तोहफे? Dowry in Muslims or Islam
जान लें कि यदि लड़की पक्ष के लोग अपनी इच्छा से कोई तोहफा लड़के वालों को देते हैं तो इसे जायज माना जाता है। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि गिफ्ट्स (Dowry in muslims) का लेन-देन दोनों पक्षों की तरफ से होना चाहिए। सिर्फ लड़की वालों को ही तोहफा नहीं दिया जाना चाहिए। यदि तोहफे सिर्फ एक तरफ से दिए जा रहे हैं और यह भी जाहिर हो रहा हो कि वह दहेज है, तो यह अच्छा नहीं माना गया है।

क्या कहता है कुरान Dowry in Muslims or Islam
इस्लामिक पवित्र किताब कुरान (Quran) में कहा गया है कि ऐ ईमान वालों! आपस में एक-दूसरे के माल को नाहक तरीकों से मत खाओ। (सूरह निसा)। अल्लाह के रसूल ने बताया कि किसी का माल उसकी दिली मर्जी के बगैर हलाल नहीं है। अल्लाह के रसूल ने कहा कि तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता, जब तक कि उसकी ख्वाहिशें उस शरीयत के अनुसार न हों, जिसे मैं लेकर आया हूं।

 

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट Dowry in Muslims or Islam
मामले में इस्लाम (Islam) धर्म के विशेषज्ञ कहते हैं कि दहेज लेते वक्त इसका ध्यान जरूर रखें कि गुंजाइश से ज्यादा कभी नहीं देना चाहिए। खासतौर पर जरूरत का लिहाज करना चाहिए। जिन चीजों की उस समय जरूरत है, सिर्फ वहीं चीजें देनी चाहिएं। इसका ऐलान न करो, क्योंकि यह अपनी बेटी से हमदर्दी है। इसे दूसरों को दिखाने की जरूरत भी क्या है?

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