scriptविचार मंथन: दूसरों को दुख से जिसकी करुणा विचलित हो उठती है वही महामानव, संत, ब्राह्मण ऋषि और ईश्वर-भक्त हैं- पं श्रीराम शर्मा आचार्य | daily thought vichar manthan pt. shriram sharma acharya | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

विचार मंथन: दूसरों को दुख से जिसकी करुणा विचलित हो उठती है वही महामानव, संत, ब्राह्मण ऋषि और ईश्वर-भक्त हैं- पं श्रीराम शर्मा आचार्य

दूसरों को दुख से जिसकी करुणा विचलित हो उठती है वही महामानव, संत, ब्राह्मण, ऋषि और ईश्वर-भक्त हैं- पं श्रीराम शर्मा आचार्य

Feb 08, 2019 / 04:52 pm

Shyam

daily thought vichar manthan

विचार मंथन: दूसरों को दुख से जिसकी करुणा विचलित हो उठती है वही महामानव, संत, ऋषि और ईश्वर-भक्त हैं- पं श्रीराम शर्मा आचार्य

महामानवों में एक अतिरिक्त गुण होता है और वह है परमार्थ । दूसरों को दुखी या अधःपतित देखकर जिसकी करुणा विचलित हो उठती है, जिसे औरों की पीड़ा अपनी पीड़ा की तरह कष्टकर लगती है, जिसे दूसरों के सुख में अपने सुख की आनन्दमयी अनुभूति होती है, वस्तुतः वही महामानव, देवता, ऋषि, सन्त, ब्राह्मण, अथवा ईश्वर-भक्त है। निष्ठुर व्यक्ति, जिसे अपनी खुदगर्जी के अतिरिक्त दूसरी बात सूझती ही नहीं, जो अपनी सुख सुविधा से आगे की बात सोच ही नहीं सकता ऐसा अभागा व्यक्ति निष्कृष्ट कोटि के जीव जन्तुओं की मनोभूमि का होने के कारण तात्विक दृष्टि से ‘नर-पशु’ ही गिना जायगा ।

 

ऐसे नर-पशु कितना भजन करते हैं, कितना ब्रह्मचर्य रहते है, इसका कोई विशेष महत्व नहीं रह जाता । भावनाओं का दरिद्र व्यक्ति ईश्वर के दरबार में एक कोढ़ी कंगले का रूप बनाकर ही पहुँचेगा । उसे वहाँ क्या कोई मान मिलेगा ? भक्ति का भूखा, भावना का लोभी भगवान् केवल भक्त की उदात्त भावनाओं को परखता है और उन्हीं से रीझता है। माला और चन्दन, दर्शन और स्नान उसकी भक्ति के चिह्न नहीं, हृदय की विशालता और अन्तःकरण की करुणा ही किसी व्यक्ति के भावनाशील होने का प्रमाण है और ऐसे ही व्यक्ति को, केवल ऐसे ही व्यक्ति को ईश्वर के राज्य में प्रवेश पाने का अधिकार मिलता है ।

 

खरे खोटे की कसौटी

जिनकी दृष्टि से विराट् ब्रह्म की उपासना का वास्तविक स्वरूप विश्व-मानव की सेवा के रूप में आ गया हों वे हमारी कसौटी पर खरे उतरेंगे । जिनके मन में अपनी शक्ति सामर्थ्य का एक अंश पीड़ित मानवता को ऊँचा उठाने के लिये लगाने की भावना उठने लगी हो उन्हीं के बारे में ऐसा सोचा जा सकता है कि मानवीय श्रेष्ठता की एक किरण उनके भीतर जगमगाई है । ऐसे ही प्रकाश पुँज व्यक्ति संसार के देवताओं में गिने जाने योग्य होते हैं । उन्हीं के व्यक्तित्व का प्रकाश मानव-जाति के लिये मार्ग-दर्शक बनता हैं । उन्हीं का नाम इतिहास के पृष्ठों पर अजर अमर बना हुआ हैं ।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / विचार मंथन: दूसरों को दुख से जिसकी करुणा विचलित हो उठती है वही महामानव, संत, ब्राह्मण ऋषि और ईश्वर-भक्त हैं- पं श्रीराम शर्मा आचार्य

ट्रेंडिंग वीडियो