scriptविचार मंथन : मनुष्य का बचपन सावन की हरियाली है, उसमें चिंता नहीं, विकार नहीं और कर्त्तव्य का बंधन भी नहीं, लेकिन युवावस्था…- डॉ. प्रणव पंड्या | daily thought vichar manthan dr. pranav pandya | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

विचार मंथन : मनुष्य का बचपन सावन की हरियाली है, उसमें चिंता नहीं, विकार नहीं और कर्त्तव्य का बंधन भी नहीं, लेकिन युवावस्था…- डॉ. प्रणव पंड्या

daily thought vichar manthan : बचपन का अंत मानो फूलों की सेज पर शयन करने के आनन्द की समाप्ति है- डॉ. प्रणव पंड्या

Aug 13, 2019 / 05:28 pm

Shyam

daily thought vichar manthan

विचार मंथन : मनुष्य का बचपन सावन की हरियाली है, उसमें चिंता नहीं, विकार नहीं और कर्त्तव्य का बंधन भी नहीं, लेकिन युवावस्था…- डॉ. प्रणव पंड्या

मनुष्य का बचपन सावन की हरियाली है। उसमें चिंता नहीं, विकार नहीं और कर्त्तव्य का बंधन भी नहीं। बचपन का अंत मानो फूलों की सेज पर शयन करने के आनन्द की समाप्ति है। युवावस्था आते ही- मैं क्या बनूंगा?- यह एक प्रश्न दिन-रात प्रत्येक युवक की आंखों के सामने घूमा करता है। उसके माता-पिता और अभिभावकों के आगे यह समस्या आ जाती है कि- हम उसको क्या बनाये?

 

सत्य को केवल बुद्धि के द्वारा जानने से ही काम नहीं चलेगा वरन उसके लिए आंतरिक अनुराग होना चाहिए- आचार्य श्रीराम शर्मा

 

युवावस्था को ‘मस्ती’ जैसे शब्दों की व्याख्या करना एक भयानक भूल है- संसार के निष्ठुर सत्य का सामना इसी समय करना पड़ता है। युवावस्था एक संग्राम है और युवक की एक भूल असफलता का कारण बन सकती है। युवावस्था शतरंज के खेल की भांति ‘खेल’ कही जा सकती है पर यह याद रखना चाहिए कि एक गलत चाल से ही ‘जान’ का खतरा भी पैदा हो जाता है।

 

दुनिया में बिना शारीरिक श्रम के भिक्षा मांगने का अधिकार केवल सच्चे संन्यासी को है- आचार्य विनोबा भावे

 

सम्भव है इस बात की गम्भीरता का अनुभव लक्ष्मी के कुछ वरद पुत्र न कर सकें। उनका ऐसा करना कुछ अनुचित भी नहीं मगर साधारण करोड़ों युवकों के लिए इसके महत्व को हृदयंगम कर लेना अति आवश्यक है। संग्राम में उतरने के पूर्व युद्ध कौशल के तत्वों की जानकारी आने वाली पराजय को विजय बना सकती है।

 

भय ही दु:ख का कारण है- भगवान बुद्ध

 

एक नवयुवक साहसी व्यक्ति को अपनी सफलता के लिए अपने शरीर और मन के स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए वह जान लेना जरूरी है कि वह जितना बड़ा बोझ अपने कंधों पर उठाने जा रहा है, उसके ढोने की शक्ति उसकी है या नहीं। बोझा ढोने में मनुष्य की लगन बड़ी सहायक होती है। चींटी अपने से बीसियों गुना भार उठा ले जाती है, क्योंकि उसमें सच्ची लगन है और अध्यवसाय है। वकील बनने की क्षमता रखने वाला, यदि रसायन शास्त्री बनने का प्रयत्न करे, तो इसे अपनी प्रतिभा का नष्ट करना ही कह सकते हैं।

************

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / विचार मंथन : मनुष्य का बचपन सावन की हरियाली है, उसमें चिंता नहीं, विकार नहीं और कर्त्तव्य का बंधन भी नहीं, लेकिन युवावस्था…- डॉ. प्रणव पंड्या

ट्रेंडिंग वीडियो