गेहूं बालियां निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें
पूर्ण सिंचित समय से बुवाई में 20-20 दिन के अन्तराल पर 4 सिंचाई करें। आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है। दानों में दूूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है। बालियां निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें, अन्यथा फूल खिर सकते हैं। दोनों का मुंह काला पड़ जाता है व करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है। माह का प्रकोप गेहूं फसल के ऊपरी भाग (तना व पत्तो) पर होने की स्थिति में इमिडाक्लोप्रिड 250 मिली ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
पूर्ण सिंचित समय से बुवाई में 20-20 दिन के अन्तराल पर 4 सिंचाई करें। आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है। दानों में दूूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है। बालियां निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें, अन्यथा फूल खिर सकते हैं। दोनों का मुंह काला पड़ जाता है व करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है। माह का प्रकोप गेहूं फसल के ऊपरी भाग (तना व पत्तो) पर होने की स्थिति में इमिडाक्लोप्रिड 250 मिली ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
पाला पड़ने की स्थिति में रासायनिक उपचार
चौहान ने बताया कि जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हैक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कें। ध्यान रखे कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना हो तो गंधक के तेजाब को 15-15 दिन के अंतर से दोहराते रहे।
चौहान ने बताया कि जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हैक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कें। ध्यान रखे कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना हो तो गंधक के तेजाब को 15-15 दिन के अंतर से दोहराते रहे।