MUST READ : श्राद्ध 2019 : वो सब जो आप जानना चाहते है मोक्ष के नाम Name Of Salvation : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने बताया कि पुनर्जन्म सिद्धांत के अनुसार शरीर का मृत्यु ही जीवन का अंत नहीं है परंतु जन्म जन्मांतर की श्रृंखला है। 84 लाख योनियों में जीवात्मा अपने धर्म को प्रदर्शित करता है, आत्मज्ञान होने के बाद श्रृंखला रुकती है। जिस को मोक्ष के नाम से जाना जाता है। फिर भी आत्मा स्वयं के निर्णय, लोकसेवा, संसारी जीवों को मुक्त कराने की उदात्त भावना से भी जन्म धारण करता है। ईश्वर के अवतारों का भी वर्णन किया गया है। पुराण से लेकर आधुनिक समय में भी पुनर्जन्म के विविध प्रसंगों का उल्लेख मिलता हैं।
MUST READ : पितृपक्ष 13 सितंबर से, श्राद्ध के नियम व इससे जुड़ी महत्वपूर्ण तिथि पुनर्जन्म तो सबने ही लिया
Everyone Is Re Born : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने कहा पुनर्जन्म तो सबने ही लिया है हम कलियुग में हैं यहां किसी का प्रथम जन्म नहीं है। बस यह समझना कठिन हो सकता लेकिन असंभव नहीं। इस सृष्टि में कुछ भी ऐसा न घटित हुआ या हो रहा या होगा जो संयोग मात्र हो सब पूर्व नियोजित ही हैं लेकिन यह तय हुआ कर्म से। जन्म,शिक्षा,विवाह, संतान,धन संपदा,मृत्यु सब तय है कब कैसे कहां यह भी तय है। जिस प्रकार सदाशिव जी ने अपने ही अंग मां आदिशक्ति फिर रुद्र देव, ब्रह्म देव, और विष्णु देव की रचना की उसी तरह ब्रह्मा ने अपने ही अंग से मरीचि, भृगु, अंगिरा, पुलह, पुलस्त्य, वसिष्ठ, कृतु, अत्रि, दक्ष, नारद, कर्दम, धर्म को उत्पन्न किया। फिर यह ही मानवरूप लेकर साधना में लग गए। इसी तरह देवता व असुर आदि के असंख्य पुत्रों को उत्तपन्न किया। इसके बाद सदाशिव की प्रेरणा से ब्रह्न देव ने अपने आधे रूप से मनु व आधे रूप से शतरूपा धर्म परायण स्त्री को उत्तपन्न किया। उसके बाद यह सृष्टि को आगे की ओर ले जाने के कार्य मे सलग्न हो गए यह वाक्यांश शिवपुराण के रुद्रसंहिता भाग में मिलेगा।
Everyone Is Re Born : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने कहा पुनर्जन्म तो सबने ही लिया है हम कलियुग में हैं यहां किसी का प्रथम जन्म नहीं है। बस यह समझना कठिन हो सकता लेकिन असंभव नहीं। इस सृष्टि में कुछ भी ऐसा न घटित हुआ या हो रहा या होगा जो संयोग मात्र हो सब पूर्व नियोजित ही हैं लेकिन यह तय हुआ कर्म से। जन्म,शिक्षा,विवाह, संतान,धन संपदा,मृत्यु सब तय है कब कैसे कहां यह भी तय है। जिस प्रकार सदाशिव जी ने अपने ही अंग मां आदिशक्ति फिर रुद्र देव, ब्रह्म देव, और विष्णु देव की रचना की उसी तरह ब्रह्मा ने अपने ही अंग से मरीचि, भृगु, अंगिरा, पुलह, पुलस्त्य, वसिष्ठ, कृतु, अत्रि, दक्ष, नारद, कर्दम, धर्म को उत्पन्न किया। फिर यह ही मानवरूप लेकर साधना में लग गए। इसी तरह देवता व असुर आदि के असंख्य पुत्रों को उत्तपन्न किया। इसके बाद सदाशिव की प्रेरणा से ब्रह्न देव ने अपने आधे रूप से मनु व आधे रूप से शतरूपा धर्म परायण स्त्री को उत्तपन्न किया। उसके बाद यह सृष्टि को आगे की ओर ले जाने के कार्य मे सलग्न हो गए यह वाक्यांश शिवपुराण के रुद्रसंहिता भाग में मिलेगा।
MUST READ : क्या है पिंडदान और तर्पण, यहां पढ़ें श्राद्ध करने की पूरी विधि जीव शरीर का निर्माण इस तरह हुआ Creating An Organism Body Like This : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने बताया कि जीव शरीर का निर्माण इस रीति से हुआ कि त्रिगुणात्मक प्रकृति से बुद्धि, अहंकार, मन, सात्विक अहंकार से पांच ज्ञानेंद्रिय (चक्षु, श्रोत्र, रसना, घ्राण, त्वचा), ताम्सिक अहंकार से पांच कर्मेंन्द्रिय (वाक्, हस्त, पैर, उपस्थ, पायु), पंच तन्मात्र (पृथ्वि, अग्नि, जल, वायु, आकाश ) पांच विषय (रूप, रस, गंध, स्पर्श, दृष्य) और इस चौबिस प्रकार के अचेतन जगत के अतिरिक्त पच्चीसवां चेतन पुरुष (आत्मा) को बनाया।
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The Body Has Two Distinctions : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने कहा सूक्ष्म शरीर जिसमें – के अलावा स्थूल शरीर जिसमें – [ पाँच ज्ञानेंद्रिय (चक्षु, श्रोत्र, रसना, घ्राण, त्वचा), पांच कर्मेंन्द्रिय (वाक्, हस्त, पैर, उपस्थ, पायु), पंच तन्मात्र (पृथ्वि, अग्नि, जल, वायु, आकाश ) को शामिल किया गया। जब मृत्यु होती है तब केवल स्थूल शरीर ही छूटता है, पर सूक्ष्म शरीर पूरे एक सृष्टि काल (4320000000 वर्ष) तक आत्मा के साथ सदा युक्त रहता है और प्रलय के समय में यह सूक्ष्म शरीर भी अपने मूल कारण प्रकृति में लीन हो जाता है ।
The Body Has Two Distinctions : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने कहा सूक्ष्म शरीर जिसमें – के अलावा स्थूल शरीर जिसमें – [ पाँच ज्ञानेंद्रिय (चक्षु, श्रोत्र, रसना, घ्राण, त्वचा), पांच कर्मेंन्द्रिय (वाक्, हस्त, पैर, उपस्थ, पायु), पंच तन्मात्र (पृथ्वि, अग्नि, जल, वायु, आकाश ) को शामिल किया गया। जब मृत्यु होती है तब केवल स्थूल शरीर ही छूटता है, पर सूक्ष्म शरीर पूरे एक सृष्टि काल (4320000000 वर्ष) तक आत्मा के साथ सदा युक्त रहता है और प्रलय के समय में यह सूक्ष्म शरीर भी अपने मूल कारण प्रकृति में लीन हो जाता है ।
MUST READ : हमेशा के लिए पितर हो जाएंगे मुक्त, श्राद्ध में करें ये एक उपाय वेद और पुनर्जन्म क्या कहते है What Is Veda And Re Birth : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने बताया कि स्वामी दयानंद अपने प्रसिद्द ग्रन्थ ऋग्वेददिभाष्यभूमिका में पुनर्जन्म के वेदों से स्पष्ट प्रमाण देते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य विद्वानों ने भी पुनर्जन्म के प्रमाण दिए हैं। महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं- हे कुंतीनंदन! तेरे और मेरे कई जन्म हो चुके हैं। फर्क ये है कि मुझे मेरे सारे जन्मों की याद है, लेकिन तुझे नहीं। तुझे नहीं याद होने के कारण तेरे लिए यह संसार नया और तू फिर से आसक्ति पाले बैठा है।
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृöाति नरोऽपराणि
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही।। -गीता 2/22 अर्थात जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नए शरीर को प्राप्त होती है।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही।। -गीता 2/22 अर्थात जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नए शरीर को प्राप्त होती है।
MUST READ : दीपावली की है चार कहानी, अपने बच्चों को जरूर बताएं पुनर्जन्म और ज्योतिष व योग Rebirth And Astrology And Yoga : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने बताया कि कहते हैं कि कुंडली में आपके पिछले जन्म की स्थिति लिखी होती है। यह कि आप पिछले जन्म में क्या थे। कुंडली, हस्तरेखा या सामुद्रिक विद्या का जानकार व्यक्ति आपके पिछले जन्म की जानकारी के सूत्र बता सकता है। ज्योतिष के अनुसार जातक के लग्न में उच्च या स्वराशि का बुध या चंद्र स्थिति हो तो यह उसके पूर्व जन्म में सद्गुणी व्यापारी (वैश्य) होने का है। किसी जातक के जन्म लग्न में मंगल उच्च राशि या स्वराशि में स्थित हो तो इसका अर्थ है कि वह पूर्व जन्म में क्षत्रिय योद्धा था। ऐसे कई अन्य योग है जिससे पूर्व जन्म ज्ञात होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी कोई जातक पैदा होता है तो वह अपनी भक्ति और भोग्य दशाओं के साथ पिछले जन्म के भी कुछ सूत्र लेकर आता है। ऐसा कोई भी जातक नहीं होता है, जो अपनी भुक्त दशा और भोग्य दशा के शून्य में पैदा हुआ हो।
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Manu According To Astrological Belief : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने कहा कि वर्तमान जीवन में जो कुछ भी अच्छा या बुरा अनायास घट रहा है, उसे पिछले जन्म का प्रारब्ध या भोग्य अंश माना जाता है। पिछले जन्म के अच्छे कर्म इस जन्म में सुख दे रहे हैं या पिछले जन्म के पाप इस जन्म में उदय हो रहे हैं, यह खुद का जीवन देखकर जाना जाता सकता है। हिंदू धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। इसका अर्थ है कि आत्मा जन्म एवं मृत्यु के निरंतर पुनरावर्तन की शिक्षात्मक प्रक्रिया से गुजरती हुई अपने पुराने शरीर को छोड़कर नया शरीर धारण करती है। उसकी यह भी मान्यता है कि प्रत्येक आत्मा मोक्ष प्राप्त करती है, जैसा गीता में कहा गया है।
Manu According To Astrological Belief : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने कहा कि वर्तमान जीवन में जो कुछ भी अच्छा या बुरा अनायास घट रहा है, उसे पिछले जन्म का प्रारब्ध या भोग्य अंश माना जाता है। पिछले जन्म के अच्छे कर्म इस जन्म में सुख दे रहे हैं या पिछले जन्म के पाप इस जन्म में उदय हो रहे हैं, यह खुद का जीवन देखकर जाना जाता सकता है। हिंदू धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। इसका अर्थ है कि आत्मा जन्म एवं मृत्यु के निरंतर पुनरावर्तन की शिक्षात्मक प्रक्रिया से गुजरती हुई अपने पुराने शरीर को छोड़कर नया शरीर धारण करती है। उसकी यह भी मान्यता है कि प्रत्येक आत्मा मोक्ष प्राप्त करती है, जैसा गीता में कहा गया है।
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Spirit Re Born For Najor Reasons : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार आत्मा के पुन: जन्म के संबंध में अनेक कारण बताए गए है। इनमे प्रमुख निम्न है –
Spirit Re Born For Najor Reasons : प्रसिद्ध ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार आत्मा के पुन: जन्म के संबंध में अनेक कारण बताए गए है। इनमे प्रमुख निम्न है –
भगवान की आज्ञा से पुन: जन्म Born Again By God : भगवान किसी विशेष कार्य के लिए महात्माओं और दिव्य पुरुषों की आत्माओं को पुन: जन्म लेने की आज्ञा देते हैं। गुरु व शनि की युति होना इस बात का होता है। लेकिन इसके लिए ग्रह कोनसे भाव,मित्र राशि,दृष्टि यह सब के बाद ही सही जानकारी मिल सकती है सटिक जानकारी अच्छे ज्योतिष से ही प्राप्त हो सकती है।
पुण्य समाप्त व उनके फल भोगने के लिए
To Tnd The Virtue And Enjoy Its Life : संसार में किए गए पुण्य कर्म के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग में सुख भोगती है और जब तक पुण्य कर्मों का प्रभाव रहता है, वह आत्मा दैवीय सुख प्राप्त करती है। जब पुण्य कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे पुन: जन्म लेना होता है।
To Tnd The Virtue And Enjoy Its Life : संसार में किए गए पुण्य कर्म के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग में सुख भोगती है और जब तक पुण्य कर्मों का प्रभाव रहता है, वह आत्मा दैवीय सुख प्राप्त करती है। जब पुण्य कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे पुन: जन्म लेना होता है।
पाप का फल भोगने के लिए
To Enjoy The Sin : मनुष्य से लेकर विभिन्न प्रकार के जीव आत्मा अपने जीवन में अनेक प्रकार के पाप करती है। उनका हिसाब किताब पूरा करने के लिए आत्मा को शरीर मिलता है।
To Enjoy The Sin : मनुष्य से लेकर विभिन्न प्रकार के जीव आत्मा अपने जीवन में अनेक प्रकार के पाप करती है। उनका हिसाब किताब पूरा करने के लिए आत्मा को शरीर मिलता है।
बदला लेने के लिए
For Revenge : आत्मा किसी से बदला लेने के लिए पुन: जन्म लेती है। यदि किसी व्यक्ति को धोखे से, कपट से या अन्य किसी प्रकार की यातना देकर मार दिया जाता है तो वह आत्मा पुन: जन्म अवश्य लेती है।
For Revenge : आत्मा किसी से बदला लेने के लिए पुन: जन्म लेती है। यदि किसी व्यक्ति को धोखे से, कपट से या अन्य किसी प्रकार की यातना देकर मार दिया जाता है तो वह आत्मा पुन: जन्म अवश्य लेती है।
अकाल मृत्यु हो जाने पर Premature Death : जब किसी नदी, नाले या प्रसुति के दौरान किसी की कम समय में मृत्यु होती है तो इस प्रकार की आत्मा का पुन: जन्म होता है।
अपूर्ण साधना को पूर्ण करने के लिए
To Complete Imperfect Cultivation : कई बार संत जब संसार से विदा लेते है तो उनकी आत्मा अपनी धार्मिक यात्रा को पूरा करने के लिए पुन: जन्म लेती है।
To Complete Imperfect Cultivation : कई बार संत जब संसार से विदा लेते है तो उनकी आत्मा अपनी धार्मिक यात्रा को पूरा करने के लिए पुन: जन्म लेती है।