MUST READ : हमेशा के लिए पितर हो जाएंगे मुक्त, श्राद्ध में करें ये एक उपाय ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि पितृपक्ष का सम्बन्ध पूर्वजों और पितरों से होता है। वे श्राद्ध के दौरान सूक्ष्म शरीर में आकर अपने लोगों की श्रद्धा ग्रहण करते हैं। इसके साथ ही जो उनको श्रद्धा से याद करता है उन अपने लोगों को आशीर्वाद भी देते हैं। पूर्वजों और पितरों का सम्बन्ध मुख्यत: राहु केतु, सूर्य, चंद्र और बृहस्पति से भी होता है। अगर कुंडली में इनसे सम्बंधित योग हों तो इसका निराकरण इस समय बहुत सरलता से हो सकता है। पितृ दोष, चंद्र केतु की यूति से बना ग्रहण योग, गुरु चांडाल दोष और ग्रहण योग के निराकरण के लिए यह सर्वोत्तम अवसर होता है।
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ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि यह योग चंद्र केतु या चंद्र राहु के साथ होने से बनता है। इसके उपाय निम्न है –
ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि यह योग चंद्र केतु या चंद्र राहु के साथ होने से बनता है। इसके उपाय निम्न है –
– यह योग चन्द्र राहु के सम्बन्ध से बनता है।
– यह योग मानसिक समस्याएं, हार्मोन्स और रिश्तों की समस्याएं देता हैं।
– इसके निवारण के लिए पितृपक्ष में पवित्र नदी में स्नान करें। MUST READ : क्या है पिंडदान और तर्पण, यहां पढ़ें श्राद्ध करने की पूरी विधि
– यह योग मानसिक समस्याएं, हार्मोन्स और रिश्तों की समस्याएं देता हैं।
– इसके निवारण के लिए पितृपक्ष में पवित्र नदी में स्नान करें। MUST READ : क्या है पिंडदान और तर्पण, यहां पढ़ें श्राद्ध करने की पूरी विधि
सूर्य ग्रहण दोष का उपाय
ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि यह योग जन्म कुंडली में सूर्य राहु के सम्बन्ध से बनता है। इसके आसान उपाय निम्न है – – इसके कारण आंखों की, मान सम्मान की, रोजगार की और रिश्तों की समस्या होती है।
– इसके निवारण के लिए पितृपक्ष में सूर्य देव को काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें।
– ब्रह्म पुराण में उल्लिखित “सूर्य स्तोत्र” का पाठ करें।
– किसी पुरुष को लकड़ी की वस्तु उपहार में दें।
– अमावस्या के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को गुड का दान करें।
ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि यह योग जन्म कुंडली में सूर्य राहु के सम्बन्ध से बनता है। इसके आसान उपाय निम्न है – – इसके कारण आंखों की, मान सम्मान की, रोजगार की और रिश्तों की समस्या होती है।
– इसके निवारण के लिए पितृपक्ष में सूर्य देव को काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें।
– ब्रह्म पुराण में उल्लिखित “सूर्य स्तोत्र” का पाठ करें।
– किसी पुरुष को लकड़ी की वस्तु उपहार में दें।
– अमावस्या के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को गुड का दान करें।
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ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि यह योग गुरु च राहु के कुंडली में साथ रहने से बनता है। इसके उपाय निम्न है –
– यह योग राहु और बृहस्पति के साथ रहने से बनता है।
ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि यह योग गुरु च राहु के कुंडली में साथ रहने से बनता है। इसके उपाय निम्न है –
– यह योग राहु और बृहस्पति के साथ रहने से बनता है।
– इस योग के होने पर जीवन में कई तरह की समस्याएं आती हैं।
– विवाह, स्वास्थ्य और संतान के मामले में इसके परिणाम शुभ नहीं होते।
– इसके निवारण के लिए पितृपक्ष में केले का दान करें।
– रोज शाम को गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें।
– रोज शाम को उरद के बडे़ और पानी किसी भूखे को खिलाएं।
– अगर संभव हो तो एक पीपल का वृक्ष लगवा दें।
– विवाह, स्वास्थ्य और संतान के मामले में इसके परिणाम शुभ नहीं होते।
– इसके निवारण के लिए पितृपक्ष में केले का दान करें।
– रोज शाम को गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें।
– रोज शाम को उरद के बडे़ और पानी किसी भूखे को खिलाएं।
– अगर संभव हो तो एक पीपल का वृक्ष लगवा दें।
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ये उपाय भी करके लाभ ले सकते
ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि उपर बताए योग के उपाय तो किए ही जा सकते है इसके अलावा नीचे दिए और आसान उपाय से भी लाभ होता है।
ये उपाय भी करके लाभ ले सकते
ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि उपर बताए योग के उपाय तो किए ही जा सकते है इसके अलावा नीचे दिए और आसान उपाय से भी लाभ होता है।
– नित्य पितरों को जल में सफेद फूल डालकर अर्घ्य दें।
– अपनी माता या किसी महिला को वस्त्र और आभूषण का दान करें।
– पूरे पितृपक्ष में सुबह शाम रुद्राष्टकम का पाठ करें।
– अमावस्या के दिन किसी निर्धन को चावल का दान करें।
– अपनी माता या किसी महिला को वस्त्र और आभूषण का दान करें।
– पूरे पितृपक्ष में सुबह शाम रुद्राष्टकम का पाठ करें।
– अमावस्या के दिन किसी निर्धन को चावल का दान करें।
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