शहर के भंडारी ने बताया कि उनकी रिश्तेदार मिशिका दुबई में सीनियर केजी की स्टूडेंट है। मिशिका ने स्थानीय पेपर में एक फोटो देखा जिसमे एक जवान व्यक्ति के सिर पर व पलकों के केश नहीं थे। इसके बाद अपनी मां नेहा जैन से इस बारे में सवाल किए, तब उन्होंने कैंसर और उसके प्रभाव के बारे में बताया। इसके बाद मिशिका ने अपने केश दान करने इच्छा जताई, जिसके बाद परिवार ने संस्था को उसके केश दान कर दिए।
पहले दी समझाइश
पहले तो माता पिता ने उसे समझाने का प्रयास किया लेकिन मिशिका नहीं मानी। मिशिका के पिता मूल रूप से कोटा निवासी हैं व दस वर्षो से दुबई में हैं, जबकि नेहा रतलाम की है।